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पुरातत्व अवशेषों के भी अब अच्छे दिन आने वाले है!


ऽ विभाग ने बनायी योजना

टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो। कुशीनगर। 1876 की पुरातात्विक खुदाई के बाद आस्तीत्व में आये भगवान बुद्ध से जूड़े पुरातत्व अवशेषों के भी अब अच्छे दिन आने वाले है। जो बरसात के जलजमाव से प्रभावित हो रहे थे। यही नही यहां आने वाले सैलालियों को भी अवशेषों के अवलोकन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। जिसको ध्यान में देते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इनके संरक्षण को लेकर ने रिचार्ज वेल योजना बनायी है। ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर में पुरातात्विक खुदायी के दौरान महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर व स्तूप, माथा कुंवर मंदिर तथा रामाभार स्तूप के साथ-साथ इससे लगे विस्तृत क्षेत्र में खंडहर भी प्राप्त हुए थे। जो बौद्ध और जैन घर्म से जुड़े होने के कारण कालान्तर में एक प्रमुख स्थल के रूप विख्यात हो गये। उसके बाद यहां बौद्ध और जैन श्रद्धालुओं का आना जाना शुरू हो गया। लेकिन बदलते समय के साथ इन अवशेषों के संरक्षण का खतरा हमेशा बना रहता था और यहां आने वाले सैलानी नीचे के खंडहरों का अवलोकन करने से वंचित रह जाते थे। पुरातत्व विभाग ने प्रयास कर इसे बेहतर बनाने का हमेशा प्रयास किया गया। जिससे कुशीनगर अन्र्तराष्ट्रीय स्थली के रूप में विख्यात हो गया। इसी विकास के क्रम में विभाग ने अब पुरातात्विक महत्व के खंडहर को बरसात के पानी से राहत देने के लिए योजना बनायी है। इससे बरसाती पानी भू-गर्भ में चला जाएगा और खंडहर डूबने से बच जाएंगे। इस सम्बन्ध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, सारनाथ अंचल के अधीक्षण पुरातत्वविद् अजय श्रीवास्तव ने बताया कि खंडहरों में जल जमाव की गंभीर समस्या के समाधान के लिए रिचार्ज वेल योजना के तहत कार्य कराया जाएगा ताकि पानी भू-गर्भ मे जा सके और खंडहर बरसात के मौसम में भी दिखाई पड़े।

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