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नि:शुल्क औषधि नीति को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ एकीकृत कर मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा


डॉ. हर्ष वर्धन ”सबके लिए स्वास्थ्य” अभियान में नई आशा का संचार करेंगे, शीघ्र ही इसे ज्यादा समावेशी बनाया
नईदिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉहर्ष वर्धन ने देशभर में सभी स्तरों पर सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं को मुफ्त जेनेरिक औषधि के वितरण की प्रणाली को मुख्यधारा मेंलाने का आहवान किया है। राज्य सरकारों के साथ परामर्श से खरीद एवं वितरण के संबंध में सभी तैयारियों पर विचार करने के बाद मुफ्त औषधि कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत कीजाएगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दो उप-मिशन हैं - राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन। मुफ्त औषधि कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए इन दोनोंउप-मिशनों की मदद ली जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई 2013 में इसकी औपचारिक मंजूरी दी थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस तिथि तक इसका कार्यान्वयन सिर्फ कुछ बड़े शहरों केअस्पतालों तक सीमित है क्योंकि दवाओं की खरीद और वितरण संबंधी बुनियादी ढांचा तैयार नहीं किया गया है।
श्री हर्ष वर्धन ने निकट भविष्य में केंद्रीय स्वास्थ्य परिषद की रूपरेखा के तहत राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक बुलाने का फैसला किया। कल स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों नेमंत्री महोदय का स्वागत किया जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने यह बात कही। केंद्रीय स्वास्थ्य परिषद में पेशेवर विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इसके सदस्यों ने कई वर्षों से कोई बैठक नहीं की है।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ” मुझे यकीन है कि राज्यों में मेरे साथी स्वास्थ्य मंत्री इस कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करेंगे। ”
योजना आयोग ने अनुमान लगाया है कि मुफ्त जेनेरिक औषधि कार्यक्रम पर 12वीं योजना अवधि (2012-17) के दौरान 28,560 करोड़ रुपये की लागत आएगी तथा 2012-13 के दौरानइसका पहला वित्तीय आवंटन किया गया। केंद्र सरकार लागत का 75 प्रतिशत वहन करेगी जबकि राज्यों को 25 प्रतिशत योगदान करना होगा। कार्यक्रम के अंत तक इस कार्यक्रम के तहतआवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत 348 दवाएं 1 लाख 60 हजार उप-केंद्रों, 23,000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 5,000 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और 640 जिला अस्पतालों में मुफ्तमिलने गेंगी राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे स्थानीय जरूरतों के अनुसार आवश्यक सूची में दवाएं शामिल करें।
डॉहर्ष वर्धन ने यह भी कहा कि विशेषज्ञों के साथ परामर्श से मानक उपचार प्रोटोकोल विकसित किया जाएगा तथा यह सुनिश्चित करने के लिए संहिताबद्ध किया जाएगा किअनावश्यक और अतार्किक दवा प्रशासन से बचा जा सके। इस संदर्भ में मंत्रीजी ने याद दिलाया कि दिल्ली (1993-98) का मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठनका आवश्यक दवा कार्यक्रम’ लागू किया था। दिल्ली के इस मॉडल को दुनिया भर में पहचान मिली।
डॉहर्ष वर्धन ने कहाराष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को भ्रष्टाचार मुक्त करने के साथ-साथ अधिक से अधिक पारदर्शी बनाते हुए -प्रशासन पर बल दिया जाएगा। जब गरीब औरमध्यम वर्ग के परिवारों के सदस्य बीमार पड़ने से होने वाली परेशानी और निराशा अब अतीत की बात हो जाएगा। ”

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सुधार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वर्ष 2005 में शुरू किया तब तक 12वीं पंचवर्षीय योजना के दो वर्ष बीत चुके थे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अब समय आ चुका है कि मिशन में सुधारों को लागू किया जाए ताकि मिशन की विश्वसनीयता और पारदर्शिता कायम रहे और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 'सभी के लिए स्वास्थ्य' उपलब्ध कराने का लक्ष्य भी पूरा हो सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के कामकाज में तालमेल बिठा कर इसे अधिक व्यापक बनाने का फैसला किया है। विशेषज्ञों के एक स्थायी समीक्षा समूह का गठन जल्द ही किया जाएगा। इस समूह की नियमित बैठकें कराई जाएगी। ताकि स्वैच्छिक विशेषज्ञों तथा अधिकारियों की प्रतिक्रिया का जायजा लिया जा सके। अच्छे रिकॉर्ड वाले गैर सरकारी संगठनों के प्रमुखों को सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाएगा। महिला विशेषज्ञों को मंत्रालय की नई योजना के अंतर्गत विशेष दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने कहा- चूंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की अव्यवस्था से सबसे ज्यादा पीड़ित महिलाएं ही होती हैं। अतः मैं चाहता हूं कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकताओं के आधार पर सुलझाया जाए। सरकार की लिंग आधारित विशेष सुविधाएं देने की व्यवस्था गैर-प्रभावशाली बन गयी है।

आशा के लिए भर्ती
      मंत्री महोदय ने कहा कि मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) के तौर पर भर्ती की गई युवा महिलाएं- एनएचएम में महत्वपूर्ण हितधारक हैं, लेकिन उनके लिए अभी भी वेतनमान की दरें तय की जानी है और उनके सुचारू कार्य संचालन में बहुत सी बाधाएं हैं। इनके समाधान के लिए, मंत्री महोदय ने अगले कुछ हफ्तों के भीतर आशा कार्यकर्ताओं के साथ एक खुली बैठक करने का फैसला किया है।
      राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-एनएचएम के कार्यान्वयन में सबकी भूमिका के मामले में यह मंत्री महोदय की पहल का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा, मैं आशा प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके व्यक्तिगत रूप से एनएचएम के बारे में उनकी भावनाओं से जमीनी तौर पर अवगत होना चाहता हूं। मुझे इस बात की पक्की सूचना है कि संपूर्ण व्यवस्था अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार है और मेरा विश्वास है कि जमीनी स्तर पर मानव संसाधन समस्याओं के हल के द्वारा इसका सर्वश्रेष्ठ रूप से समाधान निकाला जा सकता है। जब तक सबसे नीचे की श्रेणी का स्वास्थ्यकर्मी खुश नहीं है, इस व्यवस्था से लोगों को लाभ नहीं पहुंच सकता।


मधुमेह और अन्य मुख्य क्षेत्र
      अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत बहुत तेजी से मधुमेह की गिरफ्त में आ रहा है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मधुमेह के इलाज में योग के साथ बैंगलौर के एस-व्यास विश्वविद्यालय द्वारा काफी अच्छा कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा कर्नाटक मधुमेह संस्थान और चेन्नई का गैर-सरकारी एम.वी. मधुमेह अस्पताल भी हजारों लोगों को कम शुल्क पर मधुमेह के इलाज की सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मधुमेह की शुरूआत इसके प्रति टालमटोल का रवैया अपनाने से होती है। इसके लिए एनएचएम में मधुमेह से बचने के लिए बेहतर जीवनस्तर और खान-पान आदतों में सुधार के लिए जागरूकता फैलाने हेतु विशेष अभियान चलाना होगा। उन्होंने कहा कि किशोर-किशोरियों का भी मधुमेह से ग्रस्त होना सरकार के लिए बेहद चिंता का विषय है।
      मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि इसके पश्चात ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मलेरिया, फाइलेरिया, एन्सैफलाइटिस, चिकुनगुनिया, डेंगू, तपेदिक, कालाजार, खसरा और कुष्ठ आदि रोगों से युद्ध स्तर पर निपटना एनएचएम उप-अभियान के घटक होंगे। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की महत्वपूर्ण रणनीति रोकथाम इलाज से बेहतर उपाय है की तर्ज पर कार्य करेगा।

नवीन अवधारणा
     स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन अप्रत्याशित समस्याओं से घिरा हुआ है जबकि राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन शुरू ही नहीं हो सका था। उन्होंने विश्वास जताया कि अंतरमंत्रालय सहयोग तथा श्रेष्ठ एवं पारदर्शी प्रशासन के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाला सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाया जा सकेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कार्यक्रम के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना समस्या नहीं है बल्कि इसके लिए अब तक मानवीय संसाधन नहीं जुटाए जा सके हैं। किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उसके हर एक हिस्से को प्रभावी रूप से लागू किया जाना महत्वपूर्ण होता है। 
एजेंसी 

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