यह इंसान ना कुछ खाता है और ना ही पीता है फिर भी सबसे अधिक काम करता है-कमला आडवाणी
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत पर
सारे राजनीतिक पंडित हतप्रभ हैं। शायद यह लोगों का उनमें विश्वास और भरोसे
का संकेत है। पहली बार धर्म-जाति और वर्ग की राजनीति पर विकास की राजनीति
भारी पड़ी। बेहतरी की आकांक्षा के साथ लोगों ने न केवल वोट किया बल्कि पूरी
श्रद्धा के साथ राष्ट्र ने मोदी के नेतृत्व को नमन भी किया।
विरासत में मिले संस्कार
मुख्यमंत्री मोदी का जन्म बहुत ही साधारण व गरीब परिवार में हुआ। मां
हीराबा ने आस-पड़ोस के घरों में काम कर बाल नरेंद्र व अन्य बच्चों का पालन
पोषण किया। हीराबा गांधीनगर में ही मुख्यमंत्री के सरकारी आवास सेक्टर 20
के बंगला नंबर 26 से महज एक किमी दूरी पर अपने छोटे बेटे पंकज भाई के साथ
रहती हैं। लेकिन पिछले 12 साल में मां व परिवार का कोई सदस्य एक किमी दूरी
पार कर मोदी के सरकारी बंगले तक नहीं गया। मां हीराबा आज भी 6 बाई 6 फीट
के कमरे में रहती हैं।
नरेंद्र मोदी का परिवार एक नजर में
पिता: दामोदार दास मोदी
मां: हीराबा मोदी
भाई-बहनसोमाभाई मोदी: स्वास्थ्य सेवा से रिटायर, समाजसेवा वडनगर में वृद्धाश्रम चलाते हैं।
अमृत भाई मोदी: समाज सेवा, स्वयं का व्यवसाय
वासंती बेन [बहन]: गृहिणी, गांव विसनगर मेहसाणा
प्रहलाद मोदी: व्यापार, अखिल भारतीय राशन डीलर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष
पंकज मोदी: गुजरात के सूचना विभाग में कर्मचारी
महामानव मोदी: महज चार घंटे की नींद लेकर हमेशा तरोताजा दिखने वाला निश्चित रूप से महामानव से कम नहीं है।
मोदी की दिनचर्या पर एक नजर
तकनीक प्रेमी मोदी के दिन की शुरुआत इंटरनेट व योगा से होती है।
नियमित रुप से मोदी प्रात:काल 5 बजे उठ जाते हैं। चौबीस घंटे में मोदी 2
बार सुबह 5:15 बजे व शाम को 6 बजे चाय पीते हैं। शुद्ध शाकाहारी मोदी
नास्ते में फल या अंकुरित मूंग लेते हैं। खाने में उन्हें खिचड़ी पसंद है।
मोदी खाना पकाने के शौकीन हैं। कई बार खुद के लिए खिचड़ी पकाते हैं चूंकि
खिचड़ी जल्दी बन जाती है, समय बर्बाद नहीं होता। साल में दो बार शरदीय व
चैत्रीय नवरात्र के दौरान मोदी निराहार व्रत रखते हैं। पूर्व
उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान भी मोदी नवरात्र के
व्रत पर थे। कमला आडवाणी जी को जब इसका पता चला तो वे हैरान हो गईं, बोली
यह इंसान ना कुछ खाता है और ना ही पीता है फिर भी सबसे अधिक काम करता है
और दौड़ता फिरता है। मोदी 4 घंटे से अधिक नहीं सोते, डॉक्टर व उनके करीबी
इससे चिंतित होते हैं लेकिन चुनावी दौरे के समय तथा अतिरिक्त कार्य के लिए
मोदी नींद के समय में और कटौती कर देते हैं -
प्रात:5 बजे - उठना
5:15 बजे - इंटरनेट व चाय
6 बजे - योगाभ्यास
8 बजे - मित्रों से फोन पर बातचीत
9 बजे - नाश्ता
10:30 बजे - ऑफिस
दोपहर 1:00 - बजे अल्पाहार
शाम 6 बजे - चाय
रात्रि 9 से 10 के बीच - खाना देर रात्रि 1 बजे सो जाना
मोदी की पसंद
खाने में: खिचड़ी- कढ़ी, चाय दिन में दो वक्त
पहनने में: खादी के कपड़े स्लीवलेस मोदी कुर्ता व चूड़ीदार पायजामा, सर्दी में सूट व मफलर,
खेल: शतरंज, क्रिकेट
फिल्म: मोदी ने 13 साल में गिनी चुनी फिल्म ही देखी जिनमें
महानायक अमिताभ बच्चन की पा, विवेकानंद के जीवन पर बनी फिल्म व अनुपम खेर
की आतंकवाद पर बनी फिल्म वेडनस डे शामिल हैं।
शासन में: प्रशासन व राजनीति में मोदी को सच्चे, अच्छे, मेहनती
व अनुशासन में रहने वाले लोग काफी पसंद हैं। उदंड, दल बदलू, सत्ता के लिए
ब्लैकमेल करने वाले नेता मोदी को पसंद नहीं। उनका मानना है कि ऐसे लोग
अपने स्वार्थ की खातिर विकास में बाधा खड़ी करते हैं। जामनगर में स्थानीय
निकाय के चुनाव में मोदी ने एक बार कहा कि भाजपा को नहीं जिताओ तो कोई बात
नहीं, कांग्रेस प्रत्याशी को वोट दे देना लेकिन महानगर पालिका में
निर्दलीयों को भेजकर सौदेबाजी वाली स्थिति पैदा मत कर देना।
तरोताजा रहने का राज: मोदी दिन में 18 घंटे काम करके भी
तरोताजा रहते हैं, इसका राज है योग। आरएसएस में रहने के कारण उनका जीवन
बड़ा अनुशासित है। सुबह जल्दी उठकर योग करना उनकी नियमित दिनचर्या का
हिस्सा है। योग के साथ वे प्राणायाम व हल्का व्यायाम कर शरीर को तरोताजा
रखते हैं।
आत्मविश्वास का मंत्र: भूकंप और दंगों के बाद अहमदाबाद के एच
एल कॉमर्स कॉलेज में नरेंद्र मोदी का पहला भाषण सुना तो लगा वो कैसे गरीब
व असहाय लोगों को अपना बताकर उनमें आत्मविश्वास व जीने का जच्बा भर देते
हैं और ठीक एक दशक बाद जब दिल्ली के नामी श्रीराम कॉलेज में दिया गया उनका
भाषण सुना तो लगा देश के निराश युवा वर्ग में वे कैसे आशाएं जगा देते हैं।
शायद यही खूबी उन्हें लोकप्रिय बनाती है। गुजरातियों के व्यापार कौशल के
बारे में जब मोदी कहते हैं कि गुजराती पत्थर को लात मारकर पानी निकाल सकता
है तब 6 करोड़ गुजरातियों का सीना गर्व से फूल जाता है। भूकंप त्रसदी पर
लेखक व संपादक किशोर मकवाणा बताते हैं कि मोदी ने जब सत्ता की बागडोर
संभाली, तब वे जमीन पर थे, भूकंप की बर्बादी सह चुके कमजोर धरातल को ढहाने
के लिए जोर के धक्के की नहीं एक हल्की सी जुंबिश ही काफी थी, यहां से मोदी
ने गुजरात को संभाला और आगे बढाया।
तकनीक का तिलिस्मराजनीतिक प्रचार के लिए दुनिया की अत्याधुनिक
3 डी तकनीक का इस्तेमाल कर मोदी ने गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा
लिया लेकिन मोदी के करीबी बताते हैं कि जब लोग फोन का इस्तेमाल नहीं करते
थे तब मोदी अपनी अंबेसडर कार में सूचना व तकनीक के सारे साधन जुटाकर रखते
थे। खुद डिजिटल डायरी रखते हैं। उन्होंने गुजरात में भ्रष्टाचार को मिटाने
में तकनीक का खूब इस्तेमाल किया। देश में गिने चुने राजनेता ही ऐसे हैं जो
अपनी ब्रांडिंग व सरकार को चलाने में तकनीक को इतना महत्व देते होंगे।
मोदी के बाद कई नेताओं ने ऐसी कोशिश की लेकिन अधिक सफल नहीं हो पाए और
डिजिटल वॉर रुम को वे बीच में ही छोड गए। इस मामले में मोदी की दूरदर्शिता
व अपने लोगों पर विश्वास सबसे जुदा है। भाजपा से लेकर सीएमओ तक उनके पास
ऐसी हाईटेक टीम है जो सोशल मीडिया के साथ जमीनी स्तर पर भी विरोधियों के
छक्के छुड़ाने में सक्षम है।
पहचान बनी शानकभी जिस गुजरात को महात्मा गांधी के नाम से जाना
जाता था, आज उसकी पहचान में मोदी नाम जुड़ चुका है। हालांकि मोदी खुद कभी
ऐसी बात नहीं करते लेकिन गुजरात से जुड़ा कोई व्यक्ति जब अन्य प्रांत में
जाता है और सामने वाले को यह पता चलता है तो उसके मुंह से बरबस यही निकलता
है कि आप तो मोदीजी के गुजरात से हैं। एक सामान्य व्यक्ति की तरह मोदी में
कुछ मानवीय कमजोरियां भी दिखेंगी जिन्हें वे खुद स्वीकारते हैं लेकिन जनता
की सेवा के लिए उनकी तन तोड़ मेहनत उन्हें बाकी नेताओं से अलग करती है।
बहुत कम लोगों को पता होगा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की
एकता यात्र व लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्र के सारथी
नरेंद्र मोदी ही थे। गुजरात में बतौर सीएम 13 साल 7 माह के कार्यकाल में
मोदी ने एक भी अवकाश नहीं लिया। आप सोच रहे होंगे कि होली या दीपावली के
दिन क्या करते होंगे, जब सारा देश छुट्टी मना रहा होता है तब मोदी देश की
सीमाओं की रक्षा करने वाले बीएसएफ के जवानों के बीच होते हैं।
मोदी में सबसे बड़ी खूबी नेटवर्किग और संवाद कायम करने की है। नब्बे के
दशक में मोदी अहमदाबाद महानगर पालिका के एक-एक पार्षद के घर जाकर मिले व
उन्हें बधाई देकर नगरवासियों की सेवा के लिए 24 घंटे तैयार रहने की भी
हिदायत दी। आज भी मोदी से संपर्क करना कोई मुश्किल काम नहीं है, कोई
समस्या हो या जनहित से जुड़ा काम आप उनके कार्यालय में संदेश छोड़ दीजिए समय
मिलते ही मोदी आपसे संपर्क साध लेते हैं। सप्ताह में मोदी ने जनता,
जनप्रतिनिधि, मंत्रिमंडल व प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात का दिन तय कर
रखा है। मोदी सोम से बुधवार जबकि सरकार से जुड़े मंत्री व अधिकारी सप्ताह
के छह दिन काम पर तैनात होते हैं जबकि मोदी शेष 3-4 दिन गुजरात या देश में
कहीं पर भी पब्लिक कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे होते हैं। पिछले 13 साल
से मोदी का यही टाइम टेबल है। माह के चौथे गुरुवार को मोदी स्वागत ऑनलाइन
के जरिए राच्यभर में लोगों की ऑनलाइन समस्याएं सुनते व उनका तुरंत निपटारा
करते हैं।
करिश्माई कार्यशैली
मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मोदी ने पहले दिन आला अधिकारियों की बैठक
बुलाई तो हरेक विभाग से ब्योरा मांगा गया। राच्य में कन्या शिक्षा, सगर्भा
माता व नवजात शिशुओं की अकाल मौत के आंकड़ें सुने तो उन्हें रात को नींद
नहीं आई। छात्रएं स्कूल में भर्ती तो होती थीं लेकिन कुछ साल बाद स्कूल
छोड़ जाती थीं, कारण खोजा तो पता लगा स्कूलों में बच्चियों के लिए टॉयलेट
नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली व एम्बुलेंस सुविधाओं के अभाव में
सगर्भा माता व नवजात शिशुओं की मौतें हो रही थीं। मोदी ने आते ही स्कूलों
में 40 हजार टॉयलेट बनवाए, शहरी, ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य
सेवा व दवा पहुंचाने के साथ एम्बुलेंस की सुविधाएं बढ़ाई। बाद में 108
सेवा तो इतनी सफल रही कि राच्य में 75 हजार बच्चों का जन्म ही 108
एम्बुलेंस में हुआ।
लंबी रेस का घोड़ा
गुजरात की कमान संभालने के बाद विरोधियों को मोदी का यह खुला चैलेंज
होता था कि आप मुझसे प्यार करें या नफरत लेकिन आप मेरी उपेक्षा नहीं कर
सकते। दुनिया ने मोदी को मुख्यमंत्री बनने के बाद जाना लेकिन राजनीतिक में
जरा भी रुचि रखने वाले मोदी में 1990 के पहले से संभावनाएं देखते थे। एक
बार मोदी मशहूर उद्योगपति दिवंगत धीरूभाई अंबानी के मुंबई स्थित बंगले पर
गए। दोनों में करीब डेढ़-दो घंटे चर्चा हुई। मोदी के जाने के बाद धीरूभाई
के पुत्र अनिल अंबानी ने उत्सुकतावश मोदी के बारे में पूछा तो धीरूभाई का
कहना था यह लंबी रेस का घोड़ा है।
नरेंद्र मोदी वह शख्सियत हैं जिनमें तमाम खूबियां समाहित हैं। शायद
जनमानस के बीच अपनी इन खासियतों के चलते ही वे लोकप्रियता के पायदान चढ़ते
जा रहे हैं। नेतृत्व कौशल से लेकर लोगों में भरोसे और विश्वास का संचार
करना कोई इनसे सीखे। इनकी इन्हीं खूबियों को बयां कर रहे हैं अहमदाबाद से
हमारे संवाददाता शत्रुघ्न शर्मा
मोदी का जीवन वृत्त
एक बार क्लास टीचर ने मोदी को अपना होमवर्क क्लास मॉनीटर को दिखाने को
कहा, तो मोदी ने इन्कार करते हुए कहा कि मेरा होमवर्क देखने का अधिकार
सिर्फ उनका है। मॉनीटर मेरे जैसा ही विद्यार्थी है फिर मैं उसे क्यूं अपना
होमवर्क दिखाऊं।
1950 17 सितंबर को मेहसाणा के वडनगर गांव में जन्म।
1962 वडनगर स्टेशन पर पिता की चाय की स्टॉल पर काम किया। वहां से गुजरने वाले सेना के जवानों को जलपान कराते व उनकी आवभगत करते।
1965 अहमदाबाद एसटी बस अड्डा पर चाचा की चाय की कैंटीन पर काम संभाला।
यहीं पर आरएसएस के प्रचारकों के संपर्क में आए। उनकी राष्ट्रभक्ति से
प्रभावित होकर आरएसएस में जाने का मन बनाया।
1968 जसोदाबेन से विवाह। पहले ही दिन पत्नी को अध्ययन की सीख देकर
घर से निकल गए11970 दो साल तक मोदी भटकते रहे। कभी हिमालय में भक्ति करने
चले गए तो कभी विवेकानंद के वेल्लोर मठ में ठहरे11975 आपातकाल के दौरान
मोदी ने भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया। प्रचार सामग्री का वितरण करते व संघर्ष
करने वाले नेताओं की मदद करते।
1987 गुजरात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रभारी बने। गुजरात भाजपा के महासचिव बने।
1990 आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या यात्र के सारथी बने।
1995 भाजपा में राष्ट्रीय सचिव व 5 राच्यों के प्रभारी बने।
1998 भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए।
2001 सात, अक्टूबर को गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
2002 गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में लगे सभी आरोपों का सामना किया।
2005 गुजरात दंगों के आरोप पर मोदी को वीजा देने से अमेरिका का इन्कार।
2007 मोदी ने तीसरी बार गुजरात की कमान संभाली।
2010 सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआइटी ने मोदी को दी क्लीन चिट।
2012 गुजरात में जीत की हैट्रिक। चौथी बार संभाली प्रदेश की कमान।
2013 9 जून को भाजपा ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया।
2013, 13 सितंबर को भाजपा ने मोदी को भाजपा का पीएम उम्मीदवार घोषित किया।
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.................................TIMES OF KUSHINAGAR