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विद्युत कटौती पर आन्दोलन के मुड में है कुशीनगर जनता



टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर । सूर्य की तपिश से खेत और विद्युत कटौती घर में आम जन की मुश्किलें बढ़ गयी है। चाहे दिन हो या रात चैन नही मिल पा रहा है। जिसको लेकर आम जनता आन्दोलन के मूड में है इसका असर गांव से लेकर देहात तक देखने को मिलने लगा है। 



तेज धूप और उमस से शहर गलियां ही नही, गांवों में किसान भी परेशान हैं। इधर बेतहाशा विद्युत कटौती ने लोगों की तकलीफें और बढ़ा दी है। स्थिति ऐसी है कि न बाहर चैन मिल रहा है और न घर में सुकून है। बच्चे, बूढ़े और महिलाओं के साथ खासकर, वे लोग जिनके परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है, को बिजली की कमी काफी खल रही है।



कुशीनगर का पडरौना नगर हो या खड्डा या फिर विहार का सीमवर्ती इलाका सेवरही हर जगह विद्युत के नियमित बिल चुकाने के बावजूद भी विद्युत की दुश्वरियां लोगों को झेलने पर मजबूर कर दे रही है। उपभोग करना तो दूर की बात है। बिजली कटौती का असर पेयजल आपूर्ति पर भी पड़ता दिख रहा है। आधी रात तक कटौती के कारण लोगों की नींद पूरी नहीं हो पा रही है, जिसका असर अगले दिन लोगों की दिनचर्या पर पड़ रहा है। बिजली न रहने से व्यापारियों का व्यवसाय भी प्रभावित होने लगा है। लो वोल्टेज के कारण अक्सर पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो गयी।



विद्युत विभाग की मानें तो आपूर्ति के लिए कोई रोस्टर निर्धारित नहीं किया गया है। जितनी बिजली मिल रही है, उतनी की आपूर्ति कर दी जा रही है। ड्यूटी पर तैनात विद्युतकर्मियों के मुताबिक इन दिनों आपातकालीन विद्युत कटौती चल रही है। इसकी वजह से जब आदेश मिलता है, तब आपूर्ति बंद करनी पड़ती है। तेज धूप और हवा के चलने पर दोपहर के समय बिजली काट दी जाती है ताकि कहीं आग न लगे। बिजली कटौती तारों के टूटने या फ्यूज उड़ने पर भी बढ़ जाती है। जिसके मरम्मत में हर बार दस से बीस मिनट का समय लग जाता है। कभी फाल्ट न मिलने की दशा में कटौती का समय और बढ़ जाता है। सबसे अधिक दुर्गति तो रात के समय हो रही है। शाम को बिजली की आंखमिचैली के अलावा रात के लगभग नौ बजे से एक या दो बजे तक बिजली कटी रहती है। 



इसमें प्रभावित जनता अन्दोलन के मूड में है। प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर आरोप प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया है। राजनीतिक दल ही नही किसान, छात्र, मजदूर भी विजली को लेकर एक जुट दिखायी दे रहे है। पडरौना के छावनी मौहल्ला निवासी तौसीफ अहमद खा ने बताया कि विद्युत कटौती से दुश्वारियां बढ गयी है, न गर्मी से राहत है और न ही पेजजल की समस्या से छुटकारा मिल रहा है।



वही राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष रामभवन राव ने अपनी वेदना प्रकट करते हुए बताया कि सरकार विद्युत कटौती बन्द करे या अपने पद से इस्तीफा दे। जब हम विद्युत विल दे रहे तो उसके उपभोग का हमारा पूर्ण अधिकार है, अगर ऐसा नही होता है तो हमारी पार्टी इसके लिए व्यापक आन्दोलन चलायेगी। वही रामकोला के एक किसान सिंहासन सिंह का कहना है कि हम बस कुछ नही जानते। हमें तो इनता ही मालूम है कि हमारे खेत पानी बिना सुख रहे है, और बिजली के बिना पानी मिलना असम्भव है। ऐसे में अगर प्रदेश की सरकार हम किसानों पर घ्यान नही देती है तो ऐसी सरकार को वेहतर नही कहा जा सकता। छात्र फखरे आलम कहते हैं परीक्षा के दिन शुरू हैं और बिजली का कोई ठिकाना नही है। ऐसे में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे ही अगर ज्यादे दिन तक चला तो हम छात्र सड़क पर उतर प्रर्दशन के लिए बाध्य हो जायेगे।

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