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विकास की रेल पर नही चल सके आर.पी.एन. सिंह


टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । विकास के नाम पर वोट मांगने वाले कांग्रेस प्रत्याशी केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री कुवंर आर पी एन सिंह कुशीनगर की जनता को नही लुभा सके। विकास के तमाम दावों के बाद भी इन्हे बूरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
यद्यपि कुशीनगर में इन्होंने पडरौना सदर सीट से तीन बार विधायक बनने की हैट्रिक लगायी। बाद में इका में विशेष पकड़ के बदौलत 2009 में कुशीनगर लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और 223954 मत हासिल कर बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य को हराया था। जिसमें इन्हें 31 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे और स्वामी प्रसाद मौर्य को 29 प्रतिशत मत मिले थे।
सासंद बनने के बाद श्री सिंह केन्द्रीय मंत्री मण्डल में शामिल किये गये और इन्हांेने विकास के नाम पर सबके घरों तक रसोई गैस की किल्लत दूर करने का प्रयास किया। उस समय यह केन्द्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री बने थे। उसके बाद जब इनका मंत्रालय सड़क परिवहन में आया तो इन्होने दावों के बीच कुशीनगर ही नही बल्कि पूर्वांचल के कई जिलों की सड़कों को सड़क परिवहन से भी जोड़नें में कोई कसर नही छोड़ी। केन्द्रीय विद्यालय से लेकर बाटलिंग प्लांट तक की स्थापना कराया। फिर पहली बार में ही इतना कुछ कर देने वाले ये कुशीनगर के पहले सांसद थे। अब तक कुशीनगर में विकास की रेल नही दौड़ पायी थी। इन्होंने कुशीनगर की जनता को यह अहसास तो करा ही दिया कि कांग्रेस में अपनी पकड़ रखने वाले कुवंर आर. पी. एन. सिंह कुछ भी करा सकते है।
लेकिन एक ही कसक जनता से नही छुड़ा पाये। जो जनता बड़ी रेल के रूप में देखना चाहीं। यद्यपि कुशीनगर जनपद को बिहार से जोड़ने वाली मुख्य रेल लाईन कप्तानगंज-थावे पहले छोटी रेल लाईन थी। बाद में जब ये गृहराज्य मंत्री हुए तो इन्होने इसे बड़े गेज में परिवर्तित तो कर दिया लेकिन रेल यात्रा के लिए रेल नही दौड़ पायी। जो जनता की महती आवश्यकता रही है।
इसी कसक ने जनता को मोदी के तरफ मोड़ने में सहयोग कर दिया। जिसका परिणाम रहा कि इस बार लोकसभा 2014 के चुनाव में कुवंर आर. पी.एन. सिंह के विकास की रेल दौड़ते-दौड़ते पटरी से उतर गयी। 

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