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एक ऐसा गांव जहां हर 12वें दिन होती है एक आदमी मौत



टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो 
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक ऐसा गांव है, जहां गत नौ महीने से औसतन हर 12 वें दिन एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इन मौतों को कारण कालाजार बताया जा रहा है। 

कालाजार जैसी घातक बीमारी से त्रस्त इस गांव पर विभाग के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे है। आज स्थिति ऐसी है कि  270 दिनों लोग 24 लोगों की मौत हो चूकी है।  

कुशीनगर के दुदही विकास खंड में स्थित रकबा दुलमा पट्टी के नाम से प्रसिद्ध यह गांव आज तक कालाजार जैसे घातक बीमारी को लेकर त्राहि-त्राहि कर रहा है। मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है । इसे रोकने में विभाग के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं। नौ माह में करीब चैबीस मौतें हो गईं, वहीं आज भी पांच पीड़ित दवा के लिए सीएचसी का चक्कर काट रहे हैं।

ज्ञातव्य हो कि गांव के टोला रकबा बीते साल जुलाई माह में कालाजार के चपेट में आया। करीब डेढ़ दर्जन पीड़ित होकर काल के गाल में समां गए। स्वास्थ्य विभाग अपनी कमी को छुपाने के लिए लगातार प्रयास करता रहा, उसके साथ यहां मौतों का सिलसिला भी जारी रहा। बर्ष 2013 में मरने वालों में मीरा उम्र 12, मैमुल नेशा उम्र 55, रईस उम्र 30, सोनिया उम्र 25, अनुराग उम्र 27, सीमा उम्र 10, रमाकांत उम्र 35, श्रीकिशुन उम्र 60, गुड़िया उम्र 10, आंचल उम्र 7, जिततू उम्र 18, लक्ष्मी उम्र 6, लक्ष्मण उम्र 1व अजमेरी उम्र 40, सालिक उम्र 12 रहे। इसी तरह वर्ष 2014 में पांच व्यक्ति काल के गाल में समा चुके हैं।

जिसको लेकर गांव के सदस्यों ने तहसील दिवस में शिकायती पत्र दी। उसके बाद जब खून के नमूने लिए गए तो सभी पीड़ित पाजिटिव पाए गए। डीएम ने गांव में कैंप लगवाकर पीड़ितों की जांच कराई। जिसमें करीब दो दर्जन पीड़ित पाए गए। कालाजार से प्रदेश मुक्त होने की घोषणा होने के बाद इतनी मौतों की जांच के लिए अपर निदेशक उत्तर प्रदेश एचएस सक्सेना के साथ छह सदस्यीय टीम ने गांव का दौरा कर बीमारी की जांच-पड़ताल की तथा ध्वस्त हुई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया।

क्षेत्रीय विधायक अजय कुमार लल्लू के पहल पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के डा. वीके चैधरी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने दौरा किया और गांव की वर्तमान स्थिति और मृतकों की सूची सहित इलाज व दवाओं का ब्योरा ले गई। मगर उसके बाद भी स्थिति आज भी वही है। यहां के निवासी, लालती, जियन, पप्पू, वीरेंद्र आदि इस बीमारी के चपेट में है। उन्हे चिन्ता सताये जा रही है कि कही ऐसा न हो जाये कि सभी काल के गाल में समा जाये। 

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