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सुविधाओं से महरूम रहे कुशीनगर के माडल बूथ


टाईम्स आफ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा मॉडल बूथों के नाम पर दिया गया आश्वासन छलावा साबित हुआ।  मॉडल बूथों के अनुरूप इन मतदान केन्द्रों पर कोई सुविधा नहीं की गई। वोट देने के लिए पहुंचे मतदाता खुद को ठगा महसूस कर रहे थे।

जिले के 2376 बूथों में से 239 बुूथों को मॉडल का दर्जा दिया गया था। इन बूथों पर जरूरत की सभी सुविधाओं के अलावा महिलाओं, विकलांगों और वृद्ध मतदाताओं की सहायता के लिए विशेष टोपी और टी-शर्ट में मतदाता मित्र तैनात किए जाने थे। बूथों पर धांधली रोकने और मतदाताओं को बूथों तक आकर्षित करने के लिए अन्य भी उपाय किए जाने की बात कही गई थी।

ज्ञातव्य हो कि कुल बूथों में से 10 फीसदी ऐसे बूथ मॉडल के रूप में चयनित किए गए थे, जहां पिछले चुनाव में मत प्रतिशत कम रहा। इनमें कसया के बालवाड़ी, जूनियर हाईस्कूल, प्राथमिक विद्यालय, तमकुहीराज जूनियर हाईस्कूल प्रमुख थे। ऐसे बूथों पर शीतल पेयजल, मतदाताओं के बैठने के लिए शामियाना, शौचालय, मुख्य द्वार से मतदान केंद्र तक जाने के लिए कारपेट, लंबी कतार में असुविधा से बचने के लिए कुर्सियां लगाने, विकलांग मतदाताओं के लिए व्हील चेयर, महिला मतदाताओं के छोटे बच्चों की देखभाल की व्यवस्था, फोन एवं आपातकाल के लिए एंबुलेंस की सुविधा की जानी थी। इन सुविधाओं को व्यवस्थित रखने के लिए बैनर के साथ टोपी और जैकेट पहने एनसीसी कैडेट्स बूथ मित्र के रूप में तैनात किए जाने थे। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार भी कराया गया था ताकि अधिक से अधिक मतदाता पोलिंग बूथों तक जाएं।

लेकिन अफसोस मकहमें ये दावे केवल प्रचार तक ही सीमित रहे। इनमें ज्यादातर बूथों पर कारपेट, कुर्सियां, व्हीलचेयर आदि सुविधाओं की बात तो दूर रही, चिलचिलाती धूप में बूथ पर मौजूद लोगों के सूखते गले के लिए शुद्ध पानी तक का इंतजाम नही रहा, न बैठने का और न ही छांव के लिए टेंट आदि का। यही वजह रही कि दोपहर में बूथों पर पहुंचने वाले मतदाताओं की संख्या काफी कम देखी गई।

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