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पहले से पढाई रही खराब अब परीक्षा भी भगवान भरोसे


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में शनिवार से संचालित हो रही परिषदीय विद्यालयों के छात्रों की परीक्षा ने विभाग की कलई खोल दी है। विभाग के पास परीक्षा करने तक की भी व्यवस्था नही है। पहले से ही पढ़ाई की स्थिति खराब मानी जाती थी अब परीक्षा भी भगवान भरोसे होने लगी है।
कुशीनगर के 14 विकास खंडों में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में शिक्षा कार्य के लिए 03 लाख बच्चों का रजिस्ट्रेशन है जबकि पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में तकरीबन 50 हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
वर्ष 2014 की कक्षा 1 से 8 तक की परीक्षाएं शनिवार को शुरु हुई, समापन 24 मई को होगा। प्राथमिक विद्यालय में प्रात 7.30 बजे से 9.30 बजे तक परख विषय की परीक्षा आयोजित की गई जबकि पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में प्रथम पाली में प्रात 7.30 से 9.30 बजे तक गणित तथा द्वितीय पाली में प्रात 10 बजे से 12 बजे तक हमारा पर्यावरण विषय की परीक्षा का आयोजन हुआ।
बताते चले कि कुशीनगर में प्रत्येक बर्ष दर्जनों विद्यालय के भवन के लिए विभाग के पास भारी भरकम बजट है लेकिन परीक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं। जिसका कारण है कि बच्चों को अपने घर की काफी पर परीक्षा देनी पड़ी। शिक्षकों ने खुद के बनाए प्रश्न पत्रों को ब्लैक बोर्ड पर उतारा और बच्चों ने घर से लाई गई कापियों पर प्रश्न का उत्तर लिखा। कुशीनगर में संचालित परिषदीय परीक्षा का यह पहला दिन था। जिसका प्रमुख कारण था कि विभाग ने परीक्षा के आयोजन से अपने को अलग कर करते हुए परीक्षा कराने की जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंपी दी। शिक्षकों ने भी बजट का रोना रोते हुए परीक्षा जैसे-तैसे कराई।
एक शिक्षा शास्त्री ने कहा है कि किसी विद्यालय में पाठ्यक्रम कितना ही अच्छा क्यों न हो लेकिन उस पाठ्य क्रम का समय-समय पर एक बेहतर मुल्यांकन जरूरी है।  तभी शिक्षा और उसके अध्ययन का स्तर स्पष्ट होता है। लेकिन ऐसी स्थितियों में कुशीनगर के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर के साथ अब उसके मुल्यांकन का स्तर भी गिरता जा रहा है ।
इस बाबत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार पांडेय बताते है कि विभाग के पास कोई अतिरिक्त बजट नही है। शिक्षक अपने स्तर से परीक्षा आयोजित करा रहे हैं।

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