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कुशीनगर में एक ऐसा भी गांव जहां ढि़बरी के सहारे रात गुजारते है लोग


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो।
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके में बसे कुशीनगर जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां भौतिकता के इस युग में आज भी लोग ढिबरी के सहारे रात गुजारते है ।

कुशीनगर का यह गांव सेवरही विकास खंड में सबसे बड़ा राजस्व गांव है जिसें पिपराघाट के नाम से जाना जाता है। आज भी यह गांव बिजली की सुविधा से वंचित है। यहां के लोग अब भी ढिबरी और लालटेन से अपना काम चलाते हैं।
पिपराघाट में बिजली नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी होती है। यहां के लोगों को गेहूं पिसाने और धान कुटवाने के लिए आज भी दूसरे गांवों में जाना पड़ता है। पिछले कई साल पहले नेडा की ओर से यहां सौर ऊर्जा के विद्युत उपकरण उपलब्ध कराए गए थे। उसके बाद भी यहां की अधिकांश आबादी अब भी रोशनी के लिए ढिबरी और लालटेन का ही इस्तेमाल करती है।

अब तो इस गांव के लोग अपनी समस्या के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए थक गये हैं। पिपराघाट के तवकल टोला के निवासी पुजारी बाबू बताते हैं कि यहां के 22 टोले और लगभग 14 हजार की आबादी वाले इस गांव में बिजली के न होने से हमें तमाम कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। यहीं के जोगनी टोला निवासी श्रीराम का कहना है कि इस गांव में विद्युतीकरण के लिए बराबर मांग की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती अब तो हम लोग कहते -कहते थक चूके है, कोई सूनने वाला नही है।पिपराघाट के ही हरिहर, चंद्रशेखर आदि ने भी यहां बिजली की सुविधा मुहैया कराए जाने की मांग की है।
इस सम्बन्ध में अवर अभियंता मनोज कुमार का कहना है कि यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। इसके लिए अतिरिक्त बजट का प्रस्ताव भेजा गया है।बजट आने के बाद ही कुछ हो सकेगा।

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