कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में अबैध तरीके से की गयी एक नियुक्ति को निरस्त कर दिया है । इस मामले में न्यायालय ने जिलाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई हेतु आदेशित किया है।
यह मामला कुशीनगर के विकास खंड नेबुआ नौरंगिया के ग्राम पंचायत दरबहा गंगा छपरा का है जहां वर्ष 2010 के फरवरी माह में एक आंगनबाड़ी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला था। जिसमें फर्जीबाड़ा करके अधिकारियों ने नियुक्ति की थी।
ज्ञातव्य हो कि गांव की मनोरमा पत्नी राकेश कुशवाहा ने अपना प्रार्थना पत्र व न्यायालय आदेश की छाया प्रति दिखाते हुए बताया कि जब नियुक्ति का विज्ञापन छपा तो गांव की चार अभ्यर्थियों मनोरमा पत्नी राकेश कुशवाहा, नीतू सिंह पत्नी दुर्गेश सिंह, श्रीमती कांती पत्नी मनोज, ममता पत्नी विश्वंभर ने अपना प्रार्थना पत्र जमा किया था।
इसमें फर्जी जन्म तिथि बना कर नीतू सिंह ने नियुक्ति करा ली। इसकी जानकारी जब मनोरमा को हुई तो उसने कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। मुकदमा के दौरान नीतू सिंह को पता चला कि प्राथमिकी दर्ज हो जाएगी तो पद से स्वयं कार्यमुक्त हो गईं। जब नीतू सिंह कार्य मुक्त हो गई तो मनोरमा का चयन पक्का हो गया, किंतु अधिकारियों ने पैनल में चार नाम के बाद एक नया हासिमा खातून पत्नी इमरान का नाम बढ़ा कर नियुक्ति कर दी। इसके बाद मनोरमा ने एक बार फिर उच्च न्यायालय इलाहाबाद का दरवाजा खटखटाया और रीट याचिका संख्या 56961-2012 श्रीमती मनोरमा कुशवाहा बनाम उ.प्र. सरकार दाखिल कर दिया तथा अपनी साक्ष्य में बताई कि प्रथम गलती की पैनल में हासिमा का नाम ही नहीं था।
दूसरी गलती कि नियुक्ति का विज्ञापन 1 फरवरी-2010 में निकला था तो उस समय हासिमा की शादी ही नहीं हुई थी। हासिमा की शादी 27 मार्च 1011 में हुई तो कैसे 9 माह पहले गांव की नागरिक बनकर नियुक्ति हो गई। इस साक्ष्य के आधार न्यायालय ने नियुक्ति को निरस्त करके 3 नवंबर 2012 को जिलाधिकारी को भेज दिया।
जिस पर चार फरवरी 2013 को जिलाधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को न्यायालय की कापी भेजा तब जाकर सेवा समाप्ति की नोटिस हासिमा खातून को दी गई।
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