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अभी से बर्ष 2017 के लिए आरक्षित होने लगी कुशीनगर के धर्मशालाएं



  • पर्यटन उद्योग के लिए शुभ संकेत-पी के सिंह

कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर में पर्यटन उद्योग के बढ़ते ग्राफ के शुभ संकेत मिलने लगे है। विदेशी बौद्ध सैलानियों का कुशीनगर के तरफ बढ़ते झुकाव से धर्मशालाओं को अभी से आरक्षित करने कार्य शुरू हो गया।

कुशीनगर आने को लेकर समय पूर्व धर्मशालाओं को आरक्षित करने में श्रीलंकाई पर्यटकों का की संख्या बढ़ती जारही है। स्थित ऐसी है कि वर्ष 2013 से वर्ष 2017 यानी पांच वर्षो तक को लेकर कुछ धर्मशालाओं की अग्रिम रूप से आरक्षित काराया है।इस वर्ष अब तक कुछ धर्मशालाओं की अग्रिम बुकिंग 2017 तक के लिए चल रही है। यह पर्यटन उद्योग में अब तक का रिकार्ड है।

इस सम्बनध में  स्थानीय श्रीलंका बुद्ध विहार के प्रबंधक श्रीलंका निवासी भिक्षु एच अस्सजी थेरो का बताते है कि कुशीनगर में पर्याप्त आवासीय सुविधा उपलब्ध न होने तथा श्रीलंका से आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के कारण भविष्य में आवासीय कठिनाई न हो इसलिए इस कारण अग्रिम रूप से आरक्षित करने की प्रवृति बढ़ रही है। उनके वहां 2014 तक कुछ गु्रप के लिए आरक्षित कर दिया गया है। भदंत ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार के प्रबंधक भंते महेंद्र ने बताया कि उनके यहां कुछ श्रीलंकाई ट्रवेल एजेंटों द्वारा 2017 तक के लिए आरक्षित कराई गई है। प्रिंस गेस्ट हाउस के प्रबंधक देवता वर्मा का कहना है कि उनके वहां भी एडवांस बुकिंग की पेशकश मिल रही है किंतु उन्होंने अभी एडवांस बुकिंग नही की है।

एक तरफ भरत आने की उत्सुकता और दुसरी तरफ बढ़ता पर्यटन उद्योंग कुशीनगर के महत्व को ओर बढ़ता जा रहा है। अन्य देशों के सैलानी भी यदि इस राह पर चले तो पर्यटन व्यवसाय का और ऊंचा ग्राफ देखने को मिलेगा। इससे पर्यटन विभाग को भी नई ऊर्जा मिलने लगेगी है।

इस सम्बन्ध में बौद्ध परिपथ उप्र के उपनिदेशक प्रदीप कुमार सिंह का बताते है कि  अग्रिम बुकिंग कराया जाना पर्यटन उद्योग के लिए शुभ संकेत है। बौद्ध परिपथ में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। चूंकि श्रीलंका से सर्वाधिक पर्यटक भारत आते हैं। भविष्य में असुविधा से बचने हेतु पूर्व योजना के तहत बुकिंग कराई जा रही है।

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