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वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना से विश्व प्रसिद्ध पक्षियों के कलरव के चित्र की होने लगी मानीटरिंग





पक्षियों कि अनोखी पुस्तक बना रिकार्ड कायम करने की तैयारी

261 पक्षियों की हर एक अदाओं का होगा पुस्तक में संग्रह 

कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सीमा पर स्थित वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के क्षेत्र में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके विश्व प्रसिद्ध पक्षियों को इन दिनों में विहार करते देखा गया। 

जिसें देखकर यहां पूरे अधिकारी व कर्मचारी हैरत में है, जिन्हें अब कैमरे में कैद कर एक रिकार्ड बनाने की योजना बनायी गयी है। आने वाले 3 माह में इन पक्षियों की गतिविधियों की तस्वीरें डिजिटल एस.एल.आर. कैमरे में कैद कर पुस्तक के रूप में पूरे देश के सामने परोशे जाने की तैयारी चल रही है।

इस अनोखी योजना में कुल 261 पक्षियों को शामिल किया गया है जिनमें से 75 पक्षियों पर केन्द्रित किया जायेगा। इनमें से मुख्य रूप से विश्वस्तर पर चर्चित एशियन पैराडाइज, फ्राक पर्ल, मादा ब्लैक क्राउण्ड, नाईट हैरोन, बंगाल बुशलार्क, मादा एवाट बैबलर आदि शामिल हैं।

इस कार्य के लिए राज्य सरकार के अलावा देश के प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञों की सहायता ली जाने लगी है। इसकी विशेष मानीटरिंग डी.एफ.ओ. बेतिया नंदकिशोर कर रहे हैं। उन्होंने यहां की पक्षियों के क्रंदन को केन्द्रित करते हुए कई तस्वीरें उतारी हैं, जिनका संभवतः इस पुस्तक संकलन में इस्तेमाल किया जायेगा।

बिहार पर्यटन विभाग के आला अधिकारी नवीन कुमार से वी.टी.आर. के अधिकारी लगातार सम्पर्क में हैं। श्री कुमार के पास पक्षियों की गतिविधियों से जुड़े बीस साल का अनुभव है। किस पक्षी की आयु कितनी होती है और उनके अस्तित्व को सहेजने के लिए कौन-कौन की कारगर योजनायें हैं श्री कुमार इस पुस्तक के संकलन को लेकर लगातार जानकारियां प्राप्त कर रहे हैं। 

इस कड़ी में भागलपुर जिले के पक्षी विशेषज्ञ विजय मिश्रा का भी पूरा सहयोग लिया जा रहा है। इस पुस्तक के संकलन व प्रकाशन से जुड़े सभी पक्षी विशेषज्ञ एक दुसरे से आपस में सम्पर्क भी बनाये हुए हैं ताकि रिकार्ड कायम करने में कहीं किसी से कोई कमी न रह जाय।

वही वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के क्षेत्र के निदेशक सह संरक्षक संतोष तिवारी बताते है कि बाघों की तंदुरुस्ती को लेकर पूरे राष्ट्र में चर्चित वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के क्षेत्र अब पक्षियों की चहलकदमी से जुड़ी पुस्तक का संकलन कर एक रिकार्ड बनाने जा रहा है। प्रति दिन प्रगति की रिपोर्ट देहरादून व दिल्ली भेजी जा रही है। 

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