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नीलाम होने के कगार पर कुशीनगर की पडरौना चीनी मिल



  • ऋण की बसूली के लिए बैंक ने जारी किया नोटिस


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में कभी अपने चीनी की मिठास से प्रभावित करने वाली पडरौना चीनी मिल नीलाम होने के कगार पर पहुच गयी है। इस चीनी मिल पर करीब 48 करोड़ का ऋण हो गया है।
इस चीनी मिल की प्रमोटर बनी जेएचवी कंपनी ने मिल की संपत्तियों को बैंक में गिरवी रख 16 करोड़ रुपये कर्ज ले लिया था। अब बैंक ने इस ऋण की वसूली के लिए 28 मार्च को चीनी मिल की नीलामी के लिए नोटिस जारी किया है।

ज्ञातव्य हो कि कानपुर सुगर वर्क्स की पडरौना चीनी मिल पर वर्ष 1997 में बीमार इकाई घोषित होने से मिल बायफर में चली गई। औद्योगिक वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बायफर) ने 1998 में मिल को गंगोत्री इंटरप्राइजेज को चलाने के लिए दिया, लेकिन वह मिल को चालू नहीं करा पाई। 29 अगस्त 2000 को पडरौना में हिंसक आंदोलन में किसान भुल्लन की जान चली गई। इसके बाद किसानों का दिल जितने के लिए लगाने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी पहुंचे। बाद में बायफर से जेएचबी ग्रुप ने शर्तो के आधार पर बतौर प्रमोटर मिल चलाने का अधिकार पाया।

इसके साथ वर्ष 2006 में नगर के पंजाब नैशनल बैंक सुभाष चैक की शाखा से जेएचबी गु्रप के चेयरमैन ने मिल की परिसंपत्तियों को गिरवी रख लोन लिया, लेकिन अगले वर्ष ही बैंक के शाखा प्रबंधक बदल गए। नए प्रबंधक ने मिल को दिए गए ऋण को गलत बताते हुए कर्ज को निरस्त कर दिया और कर्ज की वसूली गोदाम में रखी चीनी बेच कर कर ली। इसके पश्चात मिल के प्रोपराइटर ने पंजाब नैशनल बैंक के बड़े अफसरों से अपना एकाउंट सुभाष चैक पडरौना की शाखा से गोरखपुर पंजाब नैशनल बैंक बैंक रोड की शाखा में स्थानांतरित करा लिया। वहां से बायफर द्वारा प्रमोटर बनाए जाने के कागजात जमा करा कंपनी ने चार वर्ष पूर्व करीब 16 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जो ब्याज सहित 27 करोड़ के लगभग पहुंच गया है।

अब स्थिति ऐसी है कि पंजाब नैशनल बैंक गोरखपुर के शाखा प्रबंधक आरके मिश्र ने मिल को नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि जेएचवी डिस्टलरीज एंड शुगर मिल्स लिमिटेड बैंक का भुगतान नीलामी के तिथि के पहले जमा करे। 

इधर इस मिल पर कर्जो की लाईन ही लग गयी है अब तक मिल पर वित्तीय वर्ष 2011-12 का 4 करोड़ एक लाख 41 हजार रुपये वकाया है इसके साथ वर्ष 1996-97 व 97-98 का करीब साढ़े बारह करोड़ रुपये और मजदूरों के पीएफ का करीब 4 करोड़ रूपया बकाया है। इसके साथ पंजाब नैशनल बैंक गोरखपुर का 27 करोड़ 61 लाख 52 हजार 129 रुपये भी जुड़ गये।

इस कर्ज के बाद पंजाब नैशलन बैक पर प्रमोटर को दिये गये ऋण को लेकर सबाल उठने लगे है। विना मालिकाना हक के प्रमोटर को ऋण कैसे दे दिया गया ?  हालाकि इस के बारे में शाखा प्रबन्धक कुछ कहने में असमर्थता जाहिर कर रहे है उनका कहना है कि यह मेरे कार्यकाल की बात नही है इसके बारे में मैं कुछ बता नहीं पाऊंगा।

"इधर मिल का प्रभार देख रहे जीएम टेक्निकल जयदेव कुन्दूर से नीलामी की सूचना एवं बकाया न चुकाने के बारे में बात पर बताते है कि इसके बारे में मिल के निदेशक ही कुछ बता सकते हैं। जो भी प्रक्रिया होगी उसके तहत ही मिल प्रबंधन कार्रवाई करेगा।"

"इस सम्बन्ध में जिला प्रशासन के अगुआ जिलाधिकारी कुशीनगर का कहना है कि बैंक ने किस आधार पर प्रमोटर को ऋण दिया है, इसके बारे में जिला गन्ना अधिकारी के माध्यम से नोटिस भेज बैंक से पूरे प्रपत्र के साथ स्पष्टीकरण मांगा गया है। गन्ना किसानों का अहित न हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।"

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