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मैत्रय परियोजना पर लगा ग्रहण



कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में स्थापित होने वाली बहुचर्चित मैत्रेय परियोजना पर अब फिर एक बड़ा ग्रहण लग गया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने एक याचिका में भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी अधिसूचना पर रोक लगाते हुए याचियों को उनकी भूमि से बेदखल करने पर रोक लगा दिया।

ज्ञातव्य हो कि राज्य सरकार ने एक व्यक्तिगत ट्रस्ट मैत्रय के परियोजना को घरातल पर लाने के लिए लगभग 660 एकड भुमि अधिग्रहण की मजूंरी दी। बर्ष 2004 और 2006 में अधिसूचना भी जारी की। ट्रस्ट की योजना इस भुमि पर 500 फीट ऊची गोतम बुद्ध की प्रतिमा, विश्वविद्यालय आदि बनाने की है ।

इसके विरोध में  ़श्रीकृष्ण यादव व 49 अन्य बनाम सरकार उत्तर प्रदेश व अन्य याचिका संख्या 3704/13 में हाईकोर्ट इलाहाबाद की खंडपीठ के न्यायमूर्ति सुशील हरखौली एवं न्यायमूर्ति एन ए मुनिष की खण्ड पीण्ठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार द्वारा मैत्रेय प्रभावित किसानों के भूमि प्रतिकर का निर्धारण न करके उन पर करार के लिए दबाव बनाया जा रहा था और उन्हें उदित प्रतिकर नहीं दिया जा रहा था। निर्धारित अवधि में प्रतिकर निर्धारण एवार्ड घोषित न होने के कारण भू-अधिग्रहण की अधिसूचना भी समाप्त हो चुकी है। 

सारे विन्दुओं पर दाखिल याचिका में उभय पक्षों को सुनने के बाद स्थगन आदेश पारित किया गया है। जिसमें एक माह के अन्दर प्रतिपक्षीगण से जवाब मांगा गया है। इस आदेश के आने के बाद उन किसानों में खुशी की लहर दौड़ चली जिन्होंने भूमि का करार नहीं किया था।

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