कुशीनगर में सम्भाल कर रखी गयी थीं अनिल स्वरूप की यादें
कुशीनगर की धरती का स्पर्श होते ही भावुक हो गये सचिव
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर। शान्ति और ज्ञान की धरती पर किसी की यादें कैसे धरोहर की तरह सम्भाल कर रखी जाती है। शायद कोयला सचिव अनिल स्वरूप इसेे अब कभी भी नही भूल पायेगें। कभी एक साथ काम किया, आज उसकी ही समीक्षा का उन्हे मौका मिला था।

कोयला सचिव ने उस पुराने जंट साहब के बंगले को याद किया जहां उन्होने लगभग 10 माह का समय गुजारा था। एक ट्रक का पीछा कर पकड़ लेने का वृतांत सुनाते वक्त तो सचिव आज भी रोमांिचंत दिखें। सचिव बोले कि इतने सालों बाद कुशीनगर आकर बहुत अच्छा लगा है। तीस साल पहले हमें गोरखपुर से आने में कई घण्टे लगते थें। आज तो सब कुछ बदल गया है। लेकिन यहां के लोग नही बदले तभी तो आज भी यहां कुछ करने का मन करता है। अपने कार्यकाल के दौरान पडरौना के बन्धू छपरा गांव में श्रमदान से बनवायें सड़क का भी उन्होने शुक्रवार स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति को जानने का प्रयास किया।
पूरानी बातों को याद कर भावुक हुए सचिव ने कहा कि लगभग 30 वर्ष बीतने के बाद भी यहां की स्मृतियां को मंै आज तक भूला नहीं पाया हूँ। यहां के लोगों का प्यार और सहयोग आज भी उसी तरह से जो तीस साल पहले था।
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