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कुशीनगर में बिन पढ़ाये ही लोग हो जाते है साक्षर

टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के उत्तरीय पूर्वी छोर पर बसा अति पिछड़ा जिला कुशीनगर साक्षरता के मामले में काफी तेज है। यहां बिन पढ़ाये ही लोग साक्षर हो जाते है।  साक्षरता को लेकर पंजीकृत 255861 निरक्षरों को बिन पढ़ाये  6 बार परीक्षाएं ली जा चूकी है।
जिसमें एक लाख निरक्षरो ने परीक्षा भी उत्तीर्ण कर लिया है। 22 मार्च को पुनः परीक्षा आयोजित की जाने वाली है। जिसमें 2 .91 लाख निरक्षरो को परीक्षा शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
ज्ञातव्य हो कि बर्ष 2009 में देश और प्रदेश के कुछ चुनिन्दा जनपदों में साक्षर भारत मिशन योजना के तहत निरक्षरों कों साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया था। जिसके तहत 15 से 35 बर्ष की उम्र के निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर अधिकतम दो प्ररको को संविदा पर नियुक्त किया गया। इन प्रेरको के द्वारा ही निरक्षर लोगों को साक्षर होना था।
इस योजना से अच्छादित कुशीनगर जिले में 956 ग्राम सभाओं के सापेक्ष 1230 प्रेरको को नियुक्त किया गया। उस समय कुशीनगर में निरक्षर लागों की संख्या करीब 399500के करीब थी।
जुलाई 2013 में सचिव जिला लोक शिक्षा समिति कुशीनगर  की सिफारिस और जिलाधिकारी की संस्तुति पर एक जिला समन्वयक, 9 ब्लाक समन्वयक और 1230 प्रेरको की संविदा विना किसी कारण के समाप्त कर दी गयी।  तभी से निरक्षर अक्षर के ज्ञान के लिए भटक रहे है। फिर डेढ़ बर्ष बाद दिसम्बर में ब्लाक समन्वयको की जगह पर नयी नियुक्ति की गयी लेकिन उसमें से अभी तक किसी ने कार्यभार ग्राहण नही किया। वही प्रेरको के संविदा को बहाल करने का निर्णय शासन स्तर पर लम्बित है।
इसके वावजूद साक्षर भारत मिशन से जूड़ें अधिकारियों ने साक्षरता परीक्षा का आयोजन कराकर उससे सम्बन्धित दस्तावेज निदेशालय को भेज दिया। ऐसे ही विभागीय आकड़ों के अनसार 255861 निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए अब तक 6 बार परीक्षाएं ली जा चूकी है। जिसके परिणाम स्वरूप एक लाख निरक्षर साक्षर भी हो गये है।
इसी तरह विभाग एक बार फिर 22 मार्च को परीक्षा कराने की तैयारी में है। जिसमें करीब 2.91 लाख निरक्षरों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस सम्बन्ध में अरूण कुमार सचिव जिला लोक शिक्षा समिति कुशीनगर ने बताया कि भले ही सविदा निरस्त हुयी हो लेकिन प्रेरक अभी कार्य कर रहे है। इसी अधार पर वे अपने नवीनी करण की मांग कर रहे है। ऐसा माना जा रहा है कि मार्च तक प्रेरको के मामले में कोई निर्णय हो जायेगा। इसी उम्मीद में परीक्षा कराने की तैयारी चल रही है।  
वही नाम न छापने के आश्वासन पर दो-तीन प्रेरको ने बताया कि विना पैसे के हम काम कैसे करेगें ? आप भी सोच सकते है। नाम चल रहा है लकिन हकिकत में हम अपनी रोजी रोटी के लिए दुसरा काम करते है।     

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