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कुशीनगर में विकास के सपनों के साथ बीत गया साल

  •   लोगों को खटक रही लम्बित परियोजनाएं
टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली के रूप विख्यात कुशीनगर को 2014 हमेशा प्रभावित करता हरेगा।  जहां विकास की तमाम योजनाए आयीं और अब तक हमारी न बन सकीं। सपने पूरे होते-होते रह गये और वही पूरानी आशा लिए हम 2015 में आ गये।
वर्ष 2014 के अलविदा और सपनो के अधूरे होने का गम बर्ष 2015 के जश्न में डूब गया है। जैसे-जैसे बर्ष 2015 गुजरेगा बैसे-बैसे कुछ पाने की आशा, फिर से कुशीनगर के हृदय में धड़कने लगेगी।
बर्ष 2014 में हमें कई विकास परक योजनाओं के मिलने की खुशी हुयी कि कुशीनगर में पिछले दशकों से लंबित मैत्रेय परियोजना को जमीन मिल गई, अब कार्य के परवान चढ़ने पर यहां के लोगों को सुविधाएं मिलेंगी। 1 लाख 80 हजार परिवारों का बीमा, पर्यटन उद्योग के बढ़ावे के लिए बुद्धा गार्डन का हुआ विकास और निर्मल भारत अभियान में 45000 शौचालय में प्रथम वरीयता विकलांग व विधवाओं को देने आदि मामले बर्ष 2014 की उपलब्धियों में गिने जा रहे है।
वही अफशोस इस बात का रहा कि यह साल कुछ खोने व पाने की उम्मीद में ही बीत गया। कुशीनगार में प्रस्तावित गैस का बाटलिंग प्लांट मानों फिसलने लगा है। हालांकि विभाग ने भूमि तक मुहैया करा दी हैं। इधर केन्द्र सत्ता परिवर्तन के बाद 2015 में बाटलिंग प्लांट के वापस जाने का डर सताये जा रहा है। इण्डियल आयल सीएसआर इन्टीएटीव का भी वही हाल दिसम्बर में ही उसकी सेवा समाप्त हो गयी। गांव-गांव पहुचकर सेवा देने वाले यही इण्डियन आयल का सचल अस्पताल काफी राहत देता था। अब उसके आने की भी उम्मीद समाप्त हो गयी। क्योकि व्यक्ति विशेष के प्रभाव पर वह सेवा कुशीनगर में शुरू हुयी थी। इन्टरनेशनल एयरपोर्ट की स्थिति भी वही आज लम्बित पड़ा है। अभी उसके चालु होने की संभावना नही दिख रही है।
इधर पडरौना डिपो में बसों की संख्या आज तक नही बढ़ पायी वही हाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली की है जहां खाद्यान की तस्करी और व्यवस्था में सुधार का सार्थक प्रयास नही दिख रहा है। राजनीति का मुद्दा बनने वाली पडरौना चीनी मिल के चलने की बात सपने तक ही रह गयी। आशा थी की कप्तानगंज थावे रेल खण्ड के विस्तारीकरण के बाद इस पर ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी और लम्बी दूरी की ट्रेने संचालित होगीं । यह सपना अभी भी लोग देख ही रहे है।
ज्ञातव्य हो कि 2906 वर्ग किलोमीटर की आबादी वाला यह जिला 13 मई 1994 को अस्तित्व को अस्तीत्व में आया। जिसे पडरौना के नाम जाना गया। उसके बाद तत्कालिन बसपा सरकार ने इसे कुशीनगर नाम दे दिया। जिसमें 4 तहसील, थाना 18, और 14 विकास खंड के साथ करीब 600 सड़कों व 2 सौ पुल- पुलिया एप्रोचों से जोड़ा गया है। इसमें एक तहसील और दो विकास खण्ड के प्रस्ता लम्बित है। जिनकी मंजूरी मिलने वाली है। हालकि जिला प्रशासन नए वर्ष में अधूरे सभी कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर पूरा कराये जाने के प्रयास में है।
कभी केन्द्र और प्रदेश के मत्रियों से गुलजार रहने वाला कुशीनगर जिला प्रदेश के मंत्री तक ही सीमित रह गया है। प्रदेश की योजनाए तो फलीभूति होती देखी गयी। अफसोस सत्ता परिवर्तन के केन्द्र की योजनाओं पर मानो विराम लग गया।
कुशीनगर विधायक और प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी बताते हैं कि विकास के सभी सुख सुविधा मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता में है। इसके लिए प्रदेश सरकार से विभिन्न योजनाओं के तहत धन दिला कार्यो को मुकाम तक पहुंचाया जा रहा है।
वही पूर्ववर्ती सरकार में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री रहे आर पी एन सिंह के मीडिया प्रभारी शमरेल मल्ल बताते है कि पूर्व मंत्री का प्रयास है कि उनकी सभी योजनाएं फलीभूत हो लेकिन शासन और सत्ता के रूचि पर निर्भर करता है।

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