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कुशीनगर में कच्ची शराब के खिलाफ महिलाओं ने खोल दिया मोर्चा





टाईम्स आॅफ कुशीनगर व्यूरो
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में कुछ गांव ऐसे हैं जहां महिलाओ ने कच्ची शराब के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। यहां महिलाओं ने जगह-जगह पहुच कर कच्ची शराब की भठ्ठीयों को ताड़ना शुरू कर दिया है। इन महिलाओं को इस बात की परवाह नही कि आगे क्या होगा ? लेकिन इतना जरूर होगा कि अब कच्ची नही रहेगी। 
कुंती, मीना, सरस्वती, मालती, माधुरी जैसी महिलाए अपने इस अभियान से काफी खुश है कि अब कोई कच्ची शराब पी कर नही मरेगा। इसके लिए ये प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद कर कहने लगी हैं कि - हमें भी है अपना परिवार बसाना, बंद करो कच्ची शराब बनाना।
ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर में महुंअवा, बरवां, सोन्दिया बुजुर्ग, देवपोखर, श्रीरामपट्टी, बलडीहां आदि कुछ ऐसे गांव हैं। जहां तीन दर्जन महिलाओं का सुहाग कच्ची के कारण उजड़ गया है। उसके बाद इन महिलाओं ने कच्ची शराब के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। यहां महिलाओं ने जगह-जगह पहुच कर कच्ची शराब की भठ्ठीयों को ताड़ना शुरू कर दिया है। ये वही महिलाएं है जिनके परिवारों की कच्ची शराब ने खुशी छीन ली, कच्ची ने परिवार के कमाऊ सदस्यों को निगल लिया। परिवार की माली हालत बद से बद्तर हो गई है। बेटे, बेटियों का पालन-पोषण, पढ़ाई लिखाई और शादी विवाह की सारी जिम्मेदारी भी अब इन्हीं के कंधों पर है।
सोन्दिया बुजुर्ग की कुंती कहती है कि पति को शराब ने मार डाला। तीन बच्चों के पालने के साथ-साथ बेटियों के हाथ पीले करने की जिम्मेदारी भी मुझे ही निभाना है। मीरा भी कुछ इसी स्थिति में है। गांव की मालती, सरस्वती, माधुरी जैसी महिलाओं की बस एक ही मांग है कि पहले अवैध शराब को बंद कराया जाए।
महिलाएं मान रही है कि जिम्मेदारों ने यदि अपनी जिम्मेदारी ंनिभाई होती तो हम लोग सड़क पर उतरने को विवश नही हुए होते। नतीजा चाहें जो हो मकसद अब यही है कि नारी शक्ति का एहसास करा कर कच्ची को बंद कराना है। क्योंकि जिन पर कच्ची को रोकने की जिम्मेदारी है (पुलिस) वह खुद इसमें संलिप्त हैं।


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