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छितौनी से तमकुहीरोड को बड़ी रेल लाइन से जोड़ने का कार्य प्रगति पर


टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरो।
 कुशीनगर ।  उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भारतीय रेलवे के सम्पर्क अछूते  स्थानों को भारतीय रेलवे ने अपने सम्पर्क में लेने की योजना बनायी थी। जो अब पूरा होने वाला है। इसको धरातल पर लाने के लिए निमार्ण से सम्बन्धित सर्वेक्षण कार्य अन्तिम चरण में है।
रेल लाइनों का निर्माण कर उनके समुचित विकास और उन्हें देश की मुख्य धारा से जोड़ने की योजना के तहत भारतीय रेलवे ने प्राथमिकता के तहत छितौनी से तमकुहीरोड को बड़ी रेल लाइन से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू है जो कुछ ही दिन में पूरा हो जायेगा। ऐसे में संभावना है कि शीघ्र ही रेल लाइन का निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा। 62.5 किमी लंबे इस रेल मार्ग खण्ड के निर्माण से क्षेत्र का विकास एवं समृद्धि होगी ही तमकुहीरोड से बेतिया की दूरी आधी हो जाएगी।
ज्ञातव्य हो कि रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत छितौनी-तमकुहीरोड रेल मार्ग की यह परियोजना बिहार प्रांत के मधुबनी, धनहा, खैरा टोला होकर गुजरेगी। इस रेल परियोजना के निर्माण के लिए प्रथम सर्वेक्षण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 20 फरवरी 2007 को छितौनी के हायर सेकेंड्री स्कूल में किया गया था।
शुरू में यह परियोजना 58.7 किमी लंबी थी बाद में इसे बढ़ाकर 62.5 किमी कर दिया गया। इस परियोजना में 37.7 लाख घन मीटर मिट्टी के कार्य के साथ-साथ 10 बड़े पुलों एवं 47 छोटे पुलों का निर्माण किया जाना है। वही इस परियोजना के तहत ट्रैक लिंकिंग कार्य के लिए 6500 टन रेलों व 1 लाख सीमेंटेड स्लीपरों का प्रयोग किया जाएगा। परियोजना में पनियहवा से 3.35 किमी पर छितौनी, 15.5 किमी पर जटहा, 28.7 किमी पर मधुबनी, 35 किमी पर धनहा, 38 किमी पर खैरा टोला व 49.7 किमी पर पिपराही स्टेशन व हाल्ट का बनेगे। इसके साथ 62.5 किमी पर तमकुहीरोड को जंक्शन बनाया जाएगा।
इस रेल खण्ड के निर्माण से गंडक नदी के इस पार स्थित बिहार प्रांत के निवासियों के लिए जहां जिला मुख्यालय की दूरी आधी हो जाएगी वहीं पिपरा-पिपरासी बांध के समानान्तर निर्मित होने वाले इस रेल खंड से नारायणी के बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा।
परियोजना के कार्य की प्रगति देख कर पिपराघाट-पखनहां रेल पुल निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष व वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष सेवरही श्याम सुंदर विश्वकर्मा काफी खुश है। श्री विश्वकर्मा के अनुसार इस परियोजना के धरातल पर उतरने के साथ 20 वर्ष पूर्व इस रेल खंड के लिए जलायी गयी अब मशाल बन गयी है। हमें तो आशा है कि निश्चित ही इस परियोजना के पूर्ण होने से सेवरही उपनगर का अप्रत्याशित विकास होगा।

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