आज समय की मांग है त्वरित व सस्ता न्याय-ओपी तिवारी
देश के विभिन्न न्यायालयों में लंबित तीन करोड़ से अधिक मुकदमें
टाइम्स ऑफ़ कुशीनगर ब्यूरो
कुशीनगर । त्वरित व सस्ता न्याय आज समय की मांग है, किंतु संसाधनों की अनुपलब्धता इसमें सबसे बड़ी बाधा है। दूसरे देशों की अपेक्षा अपने यहां स्थितियां विपरीत हैं। सबसे गंभीर बात तो यह है कि आज न्यायपालिका को अपने मूल कार्यो से इतर कार्य करने पड़ रहे। जरूरत है सभी को अपने दायित्वों के प्रति सजग होने की जिससे कि न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सके।
उक्त बाते अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता फोरम कुशीनगर व अवकाश प्राप्त जिला जज ओपी तिवारी ने कहीं। श्री तिवारी शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित दीवानी न्यायालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अदालतों में उंची होती फाइलें गंभीर समस्या है। मुकदमों के निस्तारण के लिए लोक अदालतें काफी मददगार साबित हो रहीं हैं। ऐसे आयोजनों की संख्या को बढ़ाकर सहज तरीके से मुकदमों का निपटारा किया जा सकता है।
जिला जज एके उपाध्याय ने कहा कि आज देश में लगभग तीन करोड़ से अधिक मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, जिनके निस्तारण में देरी की वजह न्यायिक अधिकारियों की कमी है। न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ताओं को वादकारी हितों के लिए तत्पर रहना चाहिए। राष्ट्रीय लोक अदालत वादकारियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व सिविल जज सीनियर डिविजन सुबोध भारती ने लोक अदालत से जुड़ा ब्योरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि लोक अदालत राष्ट्रीय पर्व के रुप में देखा जा रहा है। ऐसे आयोजनों पर वादकारियों को बढ़चढ़ कर आपसी सुलह - समझौते के आधार पर मुकदमों का निपटारा कराने में सहयोग करना चाहिए।
आयोजन को अपर जिलाधिकारी रामकेवल तिवारी, पुलिस अधीक्षक ललित कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जनार्दन बरनवाल, सीजेएम सुरेंद्रनाथ, बार एसोसिएशन अध्यक्ष महंथ गोपाल दास ने भी संबोधित किया।
उक्त बाते अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता फोरम कुशीनगर व अवकाश प्राप्त जिला जज ओपी तिवारी ने कहीं। श्री तिवारी शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित दीवानी न्यायालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अदालतों में उंची होती फाइलें गंभीर समस्या है। मुकदमों के निस्तारण के लिए लोक अदालतें काफी मददगार साबित हो रहीं हैं। ऐसे आयोजनों की संख्या को बढ़ाकर सहज तरीके से मुकदमों का निपटारा किया जा सकता है।
जिला जज एके उपाध्याय ने कहा कि आज देश में लगभग तीन करोड़ से अधिक मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, जिनके निस्तारण में देरी की वजह न्यायिक अधिकारियों की कमी है। न्यायिक अधिकारी व अधिवक्ताओं को वादकारी हितों के लिए तत्पर रहना चाहिए। राष्ट्रीय लोक अदालत वादकारियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व सिविल जज सीनियर डिविजन सुबोध भारती ने लोक अदालत से जुड़ा ब्योरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि लोक अदालत राष्ट्रीय पर्व के रुप में देखा जा रहा है। ऐसे आयोजनों पर वादकारियों को बढ़चढ़ कर आपसी सुलह - समझौते के आधार पर मुकदमों का निपटारा कराने में सहयोग करना चाहिए।
आयोजन को अपर जिलाधिकारी रामकेवल तिवारी, पुलिस अधीक्षक ललित कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जनार्दन बरनवाल, सीजेएम सुरेंद्रनाथ, बार एसोसिएशन अध्यक्ष महंथ गोपाल दास ने भी संबोधित किया।
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