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कुशीनगर में अब चार की जगह नौ घाटो से होगा बालू खनन



टाईम्स आफ कुशीनगर व्यूरों
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सीमाओं से होकर गुजरने वाली नदियों में अब नौ स्थानों से बालु खनन का कार्य किया जायेगा। इन स्थानों का पटटा करने की स्वीकृति मिल गयी है। बालू खनन के मिलने वाला यह पट्टा तीन वर्षों के लिए होगा। पट्टा लेने वालों के लिए शर्त बस इतनी होगी कि खनन और ढुलाई के लिए विभाग की ओर से तय नियमों का पालन करना होगा।
बालू खनन के लिए पट्टा देने की प्रक्रिया 15 जनवरी से शुरू हो जाएगी। मौजूदा समय में चार ही बालू घाट संचालित हो रहे हैं। सोहसा मठिया-देवराजपुर, विश्वनाथपुर-मेहदीपुर, साहबगंज-सेमरा और पीपापुल-साहबगंज में संचालित हो रहे ये सभी बालू घाट छोटी गंडक पर ही हैं। घाटों की संख्या कम होने से न केवल बालू का संकट खड़ा हो गया है, बल्कि इसकी कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसकी कालाबाजारी में भी तेजी आ गयी थी।
जानकारी के अनुसार यहां का बालू इस जनपद के अलावा देवरिया, महराजगंज, गोरखपुर और अन्य जिलों में भी जाता है। लेकिन अगले सत्र के लिए बालू घाटों की संख्या बढ़ाने के साथ ही बड़ी गंडक और बांसी नदी को भी खनन के लिए चुना गया है। ये घाट बांसी नदी पर बसंतपुर में रामजानकी मंदिर के पास, जंगल पचरुखिया श्मशान घाट के पास, बड़ी गंडक पर पडरौना क्षेत्र के पकडि़यहवा एहतमाली और ज्वालापुर, तमकुहीराज तहसील क्षेत्र में बिरवट कोन्हवलिया में ठोकर नंबर चार से दक्षिण-पूरब में दुर्गा मंदिर ब्रह्मस्थान तक, छोटी गंडक पर हाटा क्षेत्र के विश्वनाथपुर से लक्ष्मीपुर उर्फ कुर्मीपट्टी, मेहदीपुर से पगार, कसया क्षेत्र के डुमरी स्वांगीपट्टी से लालीपार महुआडीह लौंगरापुर और तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के तिवारीपट्टी सीमा से सेवरही मलाही टोला तक होंगे। इन स्थानों पर वार्षिक पट्टा 1.95 लाख से लगायत 10.80 लाख रुपये तक निर्धारित है।
हर वर्ष इन पट्टों पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगेगा। इसके लिए एक चयन समिति गठित की जाएगी, जिसमें डीएम या उनकी ओर से नामित प्राधिकारी अध्यक्ष होगा, डीएफओ अथवा उनकी तरफ से नामित प्राधिकारी एवं निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म की ओर से नामित अधिकारी सदस्य होंगे, जबकि जनपद के खान अधिकारी अथवा खनन निरीक्षक सदस्य सचिव होंगे।

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