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मां और नवजात शिशुओं के लिए अमेरिका द्वारा सहायता




नई दिल्ली ।संयुक्त राज्य अमेरिका कमजोर आबादी की स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए स्वस्थ व्यवस्था सुदृढीकरण के लिए सहायता उपलब्ध कराने पर सहमत हुआ है। यह माध्यमिक परिणामों को व्यापक रूप से निर्धारित करेगा जो भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम में योगदान करेगा, परन्तु यह केवल पुनरोत्पादक और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) कार्यक्रम और राष्ट्रीय एड्स नियत्रंण कार्यक्रम तक ही सीमित नही रहेगा। इस समझौते का एक प्रमुख घटक भारत में होने वाली माताओं और नवजात शिशुओं को सहायता उपलब्ध कराना होगा।

एक स्वास्थ्य भागीदारी कार्यक्रम समझौता भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) बीच 30 सितंबर, 2010 को हुआ था, जो कि 30 सितंबर, 2018 तक क्रियान्वित होगा। यूएसएआईडी भारत सरकार के प्रमुख स्वास्थ कार्यक्रम को जनसंख्या स्थिरीकरण, एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं और मातृत्व एवं नवजात शिशुओं में पोषण का बढ़ाने और बाल स्वास्थ जिसमें एचआईवी/एड्स, पोलियो और टीबी शामिल है को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है। इसमें कुल प्रतिबद्धता 256.67 मिलियन डॉलर की है। भारत सरकार ने 06 राज्यों झारखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में फैले 30 उच्च प्राथमिकताओं वाले जिलों में यूएसएआईडी को इसके शिशु बचाओं आह्वान के लिए विकास भागीदार के रूप में नियुक्त किया है।

इस सहायता का एक प्रमुख उद्देश्य आरसीएच के लिए स्वास्थ प्रणाली को मजबूत करना है, जिसका मुख्य लक्ष्य एमएमआर, आईएमआर और टीएफआर को कम करना है।

स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी.नड्डा ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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