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कुशीनगर में चरमरा गयी परिषदीय शिक्षा, बन्द पड़ सकते है स्कूल



कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में परिषदीय स्कूलों से महिला शिक्षकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के बाद  प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। सोमवार को जनपद के दो सौ से ज्यादा स्कूल खुलें,  लेकिन वहां न तो कोई छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने वाला रहा और  न ही मिड डे मील (एमडीएम) की व्यवस्था करने वाला ही है।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर जनपद में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित 1777 प्राथमिक स्कूलों में 290000 व 800 जूनियर हाईस्कूलों में 51000 छात्र नामांकित हैं। इन स्कूलों में लगभग 3600 शिक्षक कार्यरत थे।
इनमें सर्वाधिक पिछले तीन साल के दौरान विशिष्ट बीटीसी के जरिए भर्ती हुए अध्यापकों की रहे। सरकार ने 14 अगस्त को कुशीनगर जनपद से विशिष्ट बीटीसी के अध्यापकों में से 545 महिलाओं को उनके गृह जनपद अथवा नजदीक के जिलों में स्थानांतरित कर दिया। पहले से ही इस जिले में अध्यापकों की कमी थी।

 प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों को भी कहीं एक तो कहीं दो शिक्षकों के भरोसे खोला जा रहा था। अध्यापकों के स्थानांतरण के चलते यह व्यवस्था भी चरमरा गयी। महिला शिक्षकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का असर वैसे तो पूरे जिले पर पड़ा,, लेकिन सर्वाधिक नुकसान फारवर्ड ब्लाक माने गए पडरौना, कसया, हाटा, सुकरौली, फाजिलनगर, तमकुहीराज के अलावा पिछड़े ब्लाक में  कप्तानगंज और मोतीचक को उठाना पड़ रहा है। वजह यह कि फारवर्ड ब्लाक के स्कूलों पर केवल महिलाओं की ही नियुक्ति हुई थी और अधिकतर विद्यालय एकल अध्यापकों के सहारे थे।

इस संबंध में बीएसए पीके पांडेय का कहना है कि उपलब्ध शिक्षकों को ही समायोजित कर विद्यालय संचालित कराने की व्यवस्था कराई जाएगी। पूरा प्रयास किया जाएगा कि कोई विद्यालय बंद न होने पाए।



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