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कुशीनगर में बेसिक शिक्षा का बूरा हाल


  •     कही पढ़ने वाले नही तो कही पढ़ाने वाले ही नही
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बेसिक शिक्षा की स्थिति बद से बत्तर हो गयी है। जिला प्रशासन के सामने गम्भीर समस्या आगयी है कि कही पढ़ने वाले नही तो कही पढ़ाने वाले ही नही है।

 
जिले के फारवर्ड ब्लाकों में कौन पढ़ायेगा? जब कि शासनादेश से कोई इन ब्लाकों में आ ही नही सकता। अगड़े-पिछड़े ब्लाक के चक्कर में कुशीनगर जनपद के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख से अधिक नौनिहालों का भविष्य अधर में लटक गया है।
 
स्थिति यह है कि जिले के फारवर्ड ब्लाकों में अध्यापक ही नहीं हैं और बैकवर्ड ब्लाक से शिक्षकों का स्थानांतरण हो नहीं सकता। नतीजतन, फारवर्ड ब्लाक के स्कूलों में हाजिरी बनवाने और एमडीएम की व्यवस्था देखने तक के लिए अध्यापक नहीं बचे हैं। विभाग भी शासनादेश का हवाला देकर अपनी मजबूरी गिना रहा है। इघर कई ऐसे विद्यालय है जहां छात्रों की संख्या घटती जारही है।
 

बताते चले कि बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित स्कूलों में नियुक्त अध्यापकों को अपनी नौकरी के दौरान कम से कम पांच साल तक पिछड़े ब्लाक में सेवा देना अनिवार्य है। पिछले तीन-चार साल के दौरान जितनी भी नियुक्तियां हुईं उन्हें विभाग ने अनिवार्य रूप से जिले के पिछड़े ब्लाकों खड्डा, नेबुआ नौरंगिया, विशुनपुरा, रामकोला, कप्तानगंज, दुदही, सेवरही और मोतीचक में ही तैनाती दी।
 
 फारवर्ड ब्लाक माने गए पडरौना, कसया, हाटा, सुकरौली, फाजिलनगर और तमकुहीराज में नई पोस्टिंग नहीं हुई। बाद में शासन ने इस नीति में थोड़ा सा परिवर्तन करते हुए महिला अध्यापकों को इस बाध्यता से मुक्त कर दिया। इसके बाद पिछड़े ब्लाकों में तैनात अध्यापिकाओं को वरीयता के आधार पर फारवर्ड ब्लाकों में स्थानांतरित कर दिया गया। तमाम अध्यापिकाओं को पहली पोस्टिंग भी फारवर्ड ब्लाकों में ही मिल गयी।
 
नई सरकार ने जब अध्यापिकाओं का गैर जनपद स्थानांतरण शुरू किया तो फारवर्ड ब्लाकों के स्कूल लाइन से खाली होते चले गए। स्थिति यह हो गयी कि इन फारवर्ड ब्लाकों में तो तमाम विद्यालय ऐसे हो गए जहां पढ़ाई तो दूर बच्चों की हाजिरी लगाने और एमडीएम की व्यवस्था कराने तक को अध्यापक नहीं बचे।
 
विभाग के सामने मजबूरी यह है कि बिना अध्यापकों को इन ब्लाकों में समायोजित किए काम नहीं चल सकता और शासनादेश यह कहता है कि पांच साल की सेवा पूरी हुए बिना बैकवर्ड ब्लाक से इन्हें फारवर्ड ब्लाक में भेजा नहीं जा सकता। लिहाजा, फारवर्ड ब्लाक के स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों का भविष्य ही अधर में लटक गया है। बेसिक शिक्षा विभाग भी शासनादेश के चलते कुछ कर पाने में खुद को असमर्थ बता रहा है।
 
इस संबंध में बीएसए प्रदीप कुमार पांडेय का कहना है कि यह स्थिति प्रदेश के कुछ अन्य जिलों में भी है। शासन को इस समस्या से अवगत कराकर कुशीनगर जनपद के लिए विशेष छूट की मांग की जाएगी। अगर सरकार छूट न दे तो प्रशासन क्या करेगा? यह प्रश्न आम जन के मन में बार बार कौध रहा है।

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