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कुषीनगर में स्व निर्मित हेलिकाप्टर से उड़ान भरने की तैयारी में है मंगलदेव ऽ दो इंजनों से उड़ेगा आसमान में ऽ अगामी 17 सितम्बर को उड़ान भरने की तैयारी, अनुमति की प्रतिक्षा में मंगल देव


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश  के कुशीनगर में उड्डयन विभाग ने जैसे ही हवाईपटटी से हैलिकाप्टर उड़ाने पहल षुरू की  एक तीस वर्षीय युवक ने उड़ने का ख्वाब पाल लिया। ऐसा नही कि वह पवन हंस के हेलिकाप्टर से उड़ान भरेगा बल्कि अपने स्वयं द्वारा निर्मित हेलिकाप्टर से उड़ान भरने की तैयारी में है।

कहा जाता है भारत के जुगाड़ नाम का एक ऐसा यत्र है जो हर मामले में सफल सावित हुआ है। कक्षा आठ तक पढ़ा यह युवक बेल्डिंग का काम करता है। इसने बाइक के दो इंजनों वाले एक हेलिकाप्टर का ढांचा तैयार कर लिया है। पेट्रोल चालित इंजन चालू करते ही हेलिकाप्टर के पंखे तेजी से घूमने लगते हैं। 

इंजन के पास बनाए गए क्लच को दबाने से हेलिकाप्टर आसमान से बातें भी करने लगेगा, लेकिन उड़ान भरने के लिए अभी इस उत्साही युवा को प्रशासन की अनुमति का इंतजार है।

अगामी 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के बाद वह स्वनिर्मित हेलिकाप्टर के साथ उड़ने का सपना देख रहा है, लेकिन इस जोखिम भरे परीक्षण की अनुमति फिलहाल स्थानीय स्तर पर मिलने की उम्मीद तो कम ही है।
जानकारी के मुताबिक कुशीनगर जिले के दुदही विकास खंड में जंगल लाला छपरा टोला दुबौली बाजार निवासी मंगलदेव शर्मा काफी पहले से बेल्डिंग व मशीनरी का काम करते-करते दक्ष हो गया है। मंगलदेव चार वर्ष पूर्व तुर्कपट्टी में हेलिकाप्टर से कोई बड़ा नेता आया था और वह कार्यक्रम स्थल पर गया था। हेलिकाप्टर को उसने दस मिनट में बड़े गौर से देखा और बाहर व अंदर की तकनीक को अपने दिमाग में बसा लिया।
कुछ विशेष कर गुजरने की इच्छा को साकार करने के लिए उसने भारतीय जुगाड़ यत्र की सहायता से बेल्डिंग के जरिए दो सीट वाले हेलिकाप्टर का ढांचा तैयार कर लिया। उसके पास प्लेटिना व सुजुकी के दो इंजन थे, जिसे अपग्रेड करते हुए उसने हेलिकाप्टर में फिट कर दिया।

वहीं क्लच लगाया, जिसके सहारे हेलिकाप्टर ऊपर उठेगा। एक ऐसी तकनीक भी लगाई कि यदि दोनों इंजन फेल हो जाय तो हेलिकाप्टर का डैने फैल जाएं और चालक हवा के सहारे धीरे-धीरे सुरक्षित नीचे उतर जाय। उसने इंजन स्टार्ट कर पहिए की बजाय स्टैंड वाले इस हेलिकाप्टर का प्राथमिक परीक्षण भी कर लिया है।
इसके बाद भी 50 हजार रुपये खर्च हो चुका है। परीक्षण में जोखिम के सवाल पर उसका कहना रहा कि वह प्रशासन की अनुमति के बाद ही उड़ान भरेगा। हेलिकाप्टर पूरी तरह सुरक्षित है। आगे वाला बड़ा पंखा 1500-1600 आरपीएम का पावर लेगा, जबकि पीछे वाला पंखा 2500 आरपीएम पावर लेगा। इसकी क्षमता इंजनों में है। उसका कहना रहा कि सेफ्टी बेल्ट आदि भी होगा और वह आबादी से दूर दस मिनट तक कम ऊंचाई पर ही उड़ान का परीक्षण करना चाहता है। यदि इसमें वह फेल रहा तो अगली बार मारुति का इंजन लगाएगा।

इधर जिलाधिकारी आर सैम्फिल कहते है कि यदि इस तरह के उड़ान की किसी ने अनुमति मांगी तो वे एयर अथारिटी को लिखेंगे। एयर अथारिटी की अनुमति के बिना स्थानीय स्तर पर अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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