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बाल्मिकी व्याघ्र परियोजना का हाल: बाघ के शावकों की जिंदगी दांव पर



कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के सीमा पर बसे बाल्मिकी व्याघ्र परियोजना का अस्तित्व सिकुड़ते जा रहे वन आश्रणी क्षेत्र में बाघ के शावकों की जिंदगी दांव पर है। वहीं तमाम चैकसी के बाद भी बाघिन शावक की हत्या रायल बंगाल टाइगर ने कर दी।
ज्ञातव्य हो कि राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की घट रही संख्या को लेकर सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जहां चिंतित है वन सूत्रों के अनुसार एक वयस्क बाघ को रहने के लिए 35 से 40 वर्ग किमी का एरिया चाहिए।


बाघ भोजन और प्रणय के बीच खलल बर्दाश्त नही करते। उन्हें अपना इलाका निरापद चाहिए। अन्य किसी की भी दखलंदाजी जंगल के राजा को पसंद नही है। जब भी कोई इसमें दखल देगा तो उसकी जान जायेगी।इसी क्रम में बीते सप्ताह वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मंगुरहा जंगल में रायल बंगाल टाइगर के आश्रणी में पहुंची एक बाघिन शावक की गरदन की हड्डी रायल बंगाल टाइगर ने तोड़ डाली और उसकी मौत हो गई।

बताया जाता है कि एक बाघिन अपने तीन बच्चों के साथ परियोजना के मंगुरहा रेंज में बीते माह पहुंची थी। विभाग को कैमरा ट्रैप के जरिये पता चल गया था कि बाघिन शावक अपनी मां से बिछुड़ गई है। बिछुडने के बाद वह शावक महीनों से बीमार था।

अब सवाल यह उठता है कि जब विभाग को यह सूचना थी तो शावक को बचाने के उपाय क्यों नही किये गये ? ट्रैंकुलाइजर गन की मदद से उसे बेहोश कर उसका इलाज क्यों नही किया गया ? वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के क्षेत्र निदेशक संतोष तिवारी बताते है कि ’’ उक्त बाघिन शावक को बंगाल टाइगर ने ही मारा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि शावक के गले की हड्डी टूट गई थी। गले में बाघ के दांत के निशान थे।’’ हांलाकि उन्होंने बताया कि बाघ के अन्य शावक सुरक्षित हैं, उनपर निगरानी रखी जा रही है।

श्री तिवारी ने बताया कि ’’ कोर व बफर जोन पर काम चल रहा है। कोर एरिया बाघ व उनके शावकों के खेलने-कूदने और प्रजनन के लिए निर्बाध है। बफर क्षेत्र आम इंसानों के लिए है। उन्हीं क्षेत्रों में पर्यटन की गतिविधियां होंगी, जिसपर काम चल रहा है। निःसंदेश इससे बाघ संरक्षण का माहौल बनेगा और बाघों की संख्या में इजाफा होगा।’’










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