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ट्रेनों की रफ्तार की जद में मारे जा रहे जानवर


  •     परियोजना निदेशक ने पटना हाईकोर्ट से ट्रेनों की रफ्तार कम करने के लिए लगाई गुहार

कुशीनगर 21 सितम्बर। उत्तर प्रदेष के सीमा पर स्थित वाल्मीकि बाघ परियोजना के मदनपुर वन रेंज में तेज रफ्तार की ट्रेनों ने धीरे-धीरे एक-एक कर कई जानवरों का रौद दिया जिनसे उनकी मौत हो गयी।
इस परिक्षेत्र में ट्रेनों की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटा रखने के लिए परियोजना के निदेशक ने पटना हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। यही नही वन अधिकारियों ने इसके अलावा रेलवे लाइन के दोनों तरफ तार लगवाने का भी अनुरोध किया है।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर की सीमा से सटे वाल्मीकि बाघ परियोजना के बीच से ही गोरखपुर-नरकटियागंज रेल लाइन गुजरती है। इस बड़ी लाइन का सात किलोमीटर हिस्सा परियोजना के मदनपुर वन रेंज से होकर गुजरता है।

इस जंगल में शेर, गैंडा, हाथी समेत अनेक जंगली जानवर हैं। जंगल क्षेत्र में रेल मार्ग पर अक्सर ट्रेन की चपेट में आकर जानवर मर जाते हैं। वर्ष 2008 में इस रेलखंड पर दिल्ली कैंप के पास एक गैंडा जननायक एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर मर गया था।

यही नही इसके अलावा दर्जन भर अन्य जीव हादसे के शिकार हो चुके हैं। टाइगर रिजर्व क्षेत्र के निदेशक संतोष तिवारी के ने बताया कि जंगली जीव घूमते हुए रेल लाइन पर चले जाते हैं और तेज रफ्तार ट्रेनों की चपेट में आने से इनकी मौत हो जाती है।

निदेशक के मुताबिक विभाग दर्जनों बार रेलवे प्रशासन को इस सात किमी क्षेत्र में ट्रेनों की रफ्तार कम रखने के लिए अनुरोध कर चुका है, लेकिन अफसोस कि अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया है।

अब इसके लिए पटना हाईकोर्ट में वाद दाखिल कर मांग की गई है कि न्यायालय रेलवे प्रशासन को इस बात के लिए निर्देशित करे कि परियोजना के क्षेत्र में गुजरने वाली सभी ट्रेनों की रफ्तार अधिकतम 10 किलोमीटर रखी जाय। इसके अलावा रेलवे लाइन के दोनों तरफ तार लगवाए जाएं, जिससे कि जानवर रेलवे ट्रैक पर न चढ़ सकें।

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