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कुशीनगर में नारायणी का ताण्डव चारो तरफ तवाही ही तवाही




कुशीनगर । नारायणी नदी के ताण्डव ने कुशीनगर सीमा पर बसे गांवों को काटना शुरू कर दिया है। एपी बांध के किमी 14.000 से 14.400 मीटर के सामने स्थित अहिरौलीदान ग्राम पंचायत के कचहरी टोला में नदी की विनाश लीला जारी है।

नदी के इस ताण्डव से यहां चारों तरफ तबाही, बर्बादी, करुण क्रंदन, विवश मनुष्य के चेहरे पर विषाद ही दिखायी दे रहे है। खौफजदा ग्रामीण अपना पक्का आशियाना अपने हाथों ही तोड़ रहे है। हृदय को द्रवित कर देने वाले मंजर के बीच बचाव कार्य सिर्फ कोरम पूर्ति के लिए है।
 
ज्ञातव्य हो कि एक माह पूर्व गंडक नदी ने उफनाते समय अपना रास्ता परिवर्तित कर लिया।  नदी की बेगवती धारा ने दस दिन पूर्व बैरिया टोला के 89 घरों को अपने में समाहित कर लिया और बांध की तरफ बढ़ चली। इस दौरान उसने उचवा टोला, खलवा टोला के अलावा बिहार प्रांत के भैंसही को भी अपने अपने में समाहित कर लिया।

अब ये टोले नदी के गर्भ में समाहित हो गए है। इनकी पहचान के लिए एक तिनका तक नहीं बचा है।गुरुवार से नदी घटते स्वरूप में अपना रौद्र व विकराल रुप में तबाही ही तबाही कर रही है। दो दिन में ही नदी ने घनी आबादी का चालीस मीटर भाग जिसमें एक दर्जन से अधिक रिहायसी घर थे जिन्हेे अपने आगोश में ले लिया है। यही नही इसके ताण्डव से करीब 2 किमी की लंबाई में फैले 800 एकड़ से अधिक फसल लगी जमीन भी नदी के गर्भ में समाहित हो गई है।
 
अब नदी और तीव्र गति से कचहरी टोले को निगलने के लिए आतुर दिख रही है। नदी के तांडव से कचहरी टोला के जितन सिंह, उदय नारायण यादव, देवकी यादव, होरिल यादव, दशरथ यादव, जान मुहम्मद, रामा सिंह, केदार सिंह, अदालत साह, कमल सिंह, जुगती सिंह, मोतीलाल, राजा, लाल सिंह, साधु सिंह, दिलीप सिंह, मुख्तार सिंह, ज्ञानी सिंह, रामचंद्र सिंह, सुदामा सिंह, पारस सिंह, नथुनी सिंह, शिव पूजन सिंह, जगरनाथ सिंह, कृष्णा सिंह, मुनीरका यादव, चंद्रिका यादव, जगदीश यादव, विश्वनाथ शर्मा, नन्हू यादव, हीरा यादव, साधु यादव, किशुनदेव यादव, मैनेजर यादव, बैरिस्टर यादव, बालेश्वर यादव, प्रमोद पाठक, बेवा गीता पाठक, मंकेश्वर बैठा, श्रीकिशुन बैठा सहित सैकड़ों लोग अपना बसा-बसाया आशियाना अपने ही मजदूर लगवाकर, रिश्तेदार बुलवाकर, बुल्डोजर लगवाकर यथा संभव सामग्री निकाल सुरक्षित स्थान पर भिजवाने में लगे है।

स्थिति ऐसी है कि इन घरों की महिलाएं एवं बच्चे करुण क्रंदन कर रहे है। यहां तक कि बूढ़े बुजुर्ग और जवान भी सिसक-सिसक कर रो रहे थे जिसे देख मंजर देखने आए लोगों का हृदय द्रवित हो उठा।

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