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कुशीनगर प्रशासन की लापरवाही का परिणाम: इन्सेलाईटिस के मरीजों की बढ़ी संख्या


  •     छत्तीस घण्टे में दो ने दम तोड़ा
कुशीनगर।  उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में प्रशासनिक लापरवाही के चलते पूर्वाचल की महामारी इंसेफेलाइटिस नें पिछले 36 घण्टों में कुशीनगर के दो मासूमों को अपने आगोश मे लिया है। इन दोनों मासूमों का इलाज मेडिकल कालेज में चल रहा था जहां कड़े इन्तजाम के बाद भी इनकी सासें थम गयी।

यही नही कुशीनगर में सैकड़ों ऐसे गांव है जहां  इन्सेफलाईटिस और अन्य बीमारिया अपना जबड़ा फैलाये मासूमों को निगलने को तैयार है। कुशीनगर के अलग विकास खण्ड के अन्र्तगत निवास करने बाले ये मासूम करीब एक हफ्ते से बीमार थे। इनके साथ इनके गांव में भी बहुत सारे बच्चे इस बीमारी से ग्रसित है स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर सर्वे कर चूकी है।

कुशीनगर जनपद के नेवुआ नौरंगिया विकास खण्ड के ढ़ोलहा गांव निवासी देवनरायण का 15 बर्षीय लड़का अवधेंश रविवार को इस बीमारी से ग्रसित हो गया जिसे परिजनों ने स्थानीय स्वाथ्य केन्द्र पर भर्ती कराया जहां डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया। पुनः परिजनों ने उसे मेडिकल कालेज में भर्ती कराया यहां इलाज के दौरान उसकी बृहस्पतिवार की शाम मौत हो गयी। वही इन्सेफलाईटिस ने बृहस्पतिवार के ही शाम कप्तानंगज विकास खण्ड के ग्राम हरपुर निवासी झब्बू की चार बर्षीय बेटी निधि को अपने आगोश में ले लिया। निधि भी मेडिकल कालेज में भर्ती थी जहां उसका इलाज चल रहा था।

इन्सेफलाईटिस ने इन बच्चों के साथ इनके गांव को भी प्रभावित कर दिया है। यहां दर्जनों बच्चें इस बीमारी से पीडि़त है।
ज्ञातव्य हो पिछले जून महीने में सरकार ने गोरखपुर मंडल के विभिन्न जिलों को मिले 2.56 करोड़ रुपयों जेई के बचाव सम्बन्धि प्रचार प्रसार के लिए दिया था। जिसका कोई उपयोग नहीं हुआ है। जब कि इस साल अब तक पौने तीन सौ से अधिक जानें जा चुकी है।

इस सम्बन्ध में मंडलायुक्त ने मंडल के गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज व कुशीनगर के जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा है कि स्वीकृति प्राप्त होने के बावजूद मंडल के किसी भी जिले में कार्ययोजना तैयार कर गतिविधियों का क्रियान्वयन प्रारम्भ नहीं किया गया है। इंसेफेलाइटिस जैसे गंभीर प्रकरण में बरती जा रही इस प्रकार की शिथिलता अधिकारियों की संवेदनहीनता को दर्शाता है।

कमीश्नर के ये पत्र कुशीनगर प्रशासन के संवेदनहीनता की पोल खोल रहे है। इतने तेज तरार्र जिलाधिकारी ने भी इन्सेफलाईटिस जैसे गम्भीर प्रकरण को गम्भीरता से नही लिया। इन्सेफलाईटिस से मासूमों की जान जाती रही और सरकार से मिले धन को खर्च करने की प्रशासन ने जहमत नही उठायी। हालाकि इसके लिए मंण्डल के गोरखपुर 91.01 लाख, देवरिया 51.54 लाख, महराजगंज 65.56 लाख सहित कुशीनगर को 58 लाख, का आवंटन किया गया था। लेकिन इस रूपयें का उपयोग नही नही किया गया।

इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी आर सैम्फिल ने बताया कि ’’ नही ऐसा नही है कार्य हुए है कार्यों की रिपोर्ट नही पहुच सकी थी। ’’



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