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मोक्ष दायिनी नारायणी कुशीनगर पर हो गयी कुपित




कुशीनगर । उत्तर प्रदेश को अपने जल से पवित्र करने बाली मोक्ष दायिनी  नारायणी कुशीनगर पर कुपित हो गयी। कोप का भंजन बन रहे सैकड़ों किसानों का निवाला छीन चुका है वही औरों का निवाला छीनने को आतुर है। इसका रौद्र रुप देख किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गई हैं।

नारायणी के कोप से सैकड़ों किसान नारायणी के कहर से भूमिहीन हो चुके हैं। अब तो नींद में भी रोटी की चिंता के सपने इन किसानों को भयाक्रांत करने लगे है। कैसे होगी अब बच्चों की परवरिश? इनके सामने सबसे बड़ा प्रश्न है।

नदी के डिस्चार्ज में हो रही कमी, बांध के किनारे बसे करीब 25 हजार किसानों की बेचैनी बढ़ा रही है। सर्वविदित है कि नारायणी बाढ़ में जितना कहर नहीं ढाती उतना पानी के उतार पर तलवार की धार की भांति कटान से बर्बादी लाती है।

ज्ञातव्य हो कि पहाड़ों पर आई नारायणी नदी के जल स्तर मे वृद्धि से नेपाल स्थित बी गैप के बारह नंबर का नोज व ब्रेकर का एक हिस्सा धारा में विलीन हो गया। उस समय बैराज से पानी का डिस्चार्ज दो लाख 48 हजार क्यूसेक रहा। इधर निरंतर नदी से जल स्तर में कमी आने के बाद भी कटान होने से ग्रामीण काफी भयभीत हो गए है।

प्रकृति की मार के आगे बेबश किसान अपनी लहलहाती गन्ने आदि की फसलों को नदी में विलीन होते देख हाथ मलने के सिवाय कुछ भी करने में अक्षम है। किसानों के आंसू कहीं नदी के पानी से ज्यादा कष्टदायक माहौल उत्पन्न कर रहे है।

जिसका असर कुशीनगर में दुदही विकास खंड के अमवादीगर, अमवाखास, खैरटिया, कौआखोर, खुरहुरिया, कपरधिक्का, रामपुर बरहन, लक्ष्मीपुर, हसुहई आदि गांव नदी और बांध के बीच बसे गांव पर दिखायी देरहा है।

इन गांवों में निवास करने वाले किसान राम नरेश पटेल, सदावृक्ष पटेल, विशुन दयाल पाल, सुरेश पाल, नंदलाल पाल, रामजस पाल, रोगी पाल, रामाश्रय कुशवाहा, अब्दुल अंसारी जैसे हजारों किसानों की हजारों एकड़ खेत नदी अपनी धारदार कटान से अपनी आगोश में लेती जा रही है।

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