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नारायणी कुशीनगर में खतरे के निशान को छुने के लिए बेकरार


  •     कई बन्धों पर हो गया दबाव, विभाग खुश नही होगा कटाव
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में नारायणी पर सभी बन्धें अति सम्बेदन शील हो गये है। सभी बन्धों पर दवाव बढ़ता जारहा है। एक तरफ जहां नदी का जल स्तर खतरे के निशान कों छुनें के लिए वेकरार है वही बाढ़ खण्ड खुश है कि अब कटाव नही होगा।

इधर नारायणी के निशाने पर आए सेवरही विकास खंड के अहिरौलीदान गांव के कई टोलों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। तबाही के पीछे बाढ़ खंड के बचाव कार्यों के लिए लागू एक गाइड लाइन को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।

विभाग के कन्ट्रोल रूम से मिली सूचना के अनुसार सोमवार की शाम चार बजें बाल्मिकी नगर बैराज पर जल स्तर 2.18 लाख था जो मंगलवार की सुवह बढ़कर 3.176 लाख हो गया। यही हाल अन्य बन्धों की है हर बन्धे पर जल स्तर खतरे के निशान को छुन के लिए वेकरार है।

बाढ़ खंड के अभियंताओं के मुताबिक बंधे से दो सौ मीटर के दायरे में ही बचाव कार्य करने की गाइड लाइन है, लेकिन अहिरौलीदान के मामले में यह दूरी अधिक यानी तीन सौ मीटर से अधिक हो रही है। इस कारण बाढ़ खंड इसे कार्य क्षेत्र से बाहर बताकर पल्ला झाड़ रहा था। इसी बीच जिला प्रशासन के आदेश पर बचाव कार्यों में तेजी आ गई है।

इसके लिए ग्रामीण पिछले एक साल से वे गुहार लगाते आ रहे हैं, लेकिन उदासीनता बरती गई। यही कारण है कि वे अपने हाथों आशियानों को उजाड़ने को विवश हैं। ग्रामीणों की मानें तो पिछले एक वर्ष से नदी का रुख गांव की ओर हो गया है। नदी सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि निगलने लगी। हद तो तब हो गई जब पिछले माह बैरिया टोला को खाली कराने के लिए प्रशासन को आगे आना पड़ा था।

इस टोले के 109 परिवार बंधे पर शरण लिए हैं। केदार सिंह कहते हैं कि उन्होंने नहीं सोचा था कि बेघर हो जाएंगे। जान मियां, जनकदेव यादव, वासुदेव व महेश्वर आदि का कहना है कि यदि बचाव कार्य दो-तीन माह पहले शुरू हो गया होता तो आज कचहरी टोला सहित अन्य टोलों को तबाही के मुहाने पर नहीं आना पड़ता।

अहिरौलीदान कचहरी टोला के अस्तित्व को बचाने के लिए सिंचाई विभाग ने भले ही बचाव कार्य तेज कर दिया हो, लेकिन ग्रामीणों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। ग्रामीणों के अनुसार नदी के तेवर से ऐसा नहीं लगता कि उन्हें राहत मिलेगी, क्योंकि इससे पहले भी नारायणी नदी रक्तहियां, खुरहुरिया, हसुअही, भगवानपुर, कौवाखोर, किशुनवां, महुअवां, सोमाली, बैरिया टोला में तबाही मचा चुकी है।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर में नारायणी पर ए पी तटबन्ध काफी नाजूक स्थिति में रहा है जिस पर गण्डक कोर कमेटी के निर्देश में इस वित्तीय बर्ष 922 लाख की तीन परियोजनाए स्वीकृत की हुयी। जिस पर विभाग का यह दावा है कि 1.6 से 1.9 के बी पर 600 लाख का काम पूरा हो गया है। वही दुसरी परियोजना कट इन टू पर 122 लाख की थी यह भी पूरी हो चूकी है। शेष तीसरी परियोजना जो 200 लाख की 1.48 थी वह भी सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चूकी है।

इसके बावजूद नदी ने कटान नही बन्द किया अधिशासी अभियन्ता बताते है कि ’’ ये कार्य का ही परिणाम की अभी तक बन्ध नही कटा और हम सुरक्षित है। हां ये है कि नदी के जल स्तर घट बढ़ रहा है। जल स्तर के बढ़ने कटाव के असार कम हो जाते है पानी चारो तरफ फल जाता है और कटाव नही होता है।  इधर छितौनी बीरभार स्पर पर दबाव बन रहा है। वही अमवा के 4.9 की भी हालत नाजुक बनी हुयी है।’’








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