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समाज, शिक्षा व संस्कृति की अक्षुणता के लिए परिवर्तन जरूरी- शिवजी त्रिपाठी



कुशीनगर । बसन्त के आगमन एवं वागदेवी सरस्वती के पूजन के लिए प्रसिद्ध बसंन्त पंचमी का पर्व श्री राम जानकी संस्कृत स्ना. महा विद्यालय दुधई में हर्षोल्लास पूर्वक विधिवत कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। 


कार्यक्रम की शुरूआत वागदेवी सरस्वती को माला-पुष्पांजली के साथ मुख्य अतिथि माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति के कुशीनगर जिला महामंत्री शिवजी त्रिपाठीने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद विद्यालय के प्रचार्य चन्द्रदेव तिवारी ने मुख्य अतिथि का मल्यापर्ण कर स्वागत किया।

मां सरस्वती के पूजा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमकी शुरूआत बालिकाओं ने सरस्वती बन्दना से की। इन कार्यक्रमों में समाज की कुरीतियों एवं समस्याओं  का व्यापक मंचन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की स्थिति ऐसी रही की मेघों की बूदें  भी धरती पर भगवान आशुतोष का अभिषेक करने लगी। आकर्षण झाकी के साथ मृत्युन्जय के रूप का अंकन करते हुए बालिकाओं ने  मनोहर कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के अन्त में मुख्य अतिथि  श्री त्रिपाठी ने छात्र-छत्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि  जिस प्रकार बसंत के आगमन की सुगबुगाहट पर बृक्ष अपने गन्दे व खराब पत्ते छोड़ देते है उसी प्रकार व्यक्ति को प्रकृति की परम्परा के अनुसार  अपने आप में बदलाव लाना चाहिए। वह वदलाव ऐसा हो कि जिससे समाज, संस्कृति, और शिक्षा अक्षुण  बनी रह सके। बर्तमान परिवेश में जिस प्रकार शिक्षा समाज को प्रभावित कर रही है   वह किसी से छिपा नही है। ऐसे में हमें शिक्षा को संस्कृति से जोड़ते हुए राष्ट्र के विकास के उपयोगी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि राष्ट्र के विकास में योगदान हो सके।

इस कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय के प्रचार्य ने सभी आगन्तुको का अभार व्यक्त किया और कार्यक्रम में सहयोग देने वाले वरिष्ठ अध्यापक राजेन्द्र शुक्ल, हरेश नरायण पाण्डेय, शक्तिधर दूवे ,सत्येन्द्र पाण्डेय, इन्द्रजीत शर्मा के साथ उमेश गुप्त की भूमिका की भी सराहना की।

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