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कुशीनगर में यौन शोषण की शिकार एक युवती ने लगायी न्याय की गुहार



कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में यौन शोषण की शिकार एक युवती ने पुलिसिया कार्रवाई से क्षुब्ध होकर आला अफसरों से न्याय की गुहार लगायी है। पुलिस अभियुक्त के हमदर्दी में घटना के बावत दर्ज मुकदमे की लीपातोती करने में लगी है। जिससे पीडि़ता को डर है कि पुलिस की कार्यावाही से आबरू लूटने वाले के खिलाफ कुछ नही हो सकेगा है।

यह मामला कुशीनगर के पडरौना कोतवाली थाना क्षेत्र के गम्भीरिया गांव का है जहां मुरारी शर्मा पुत्र चीकूर शर्मा की नाबालिग लड़की को बीते वर्ष के 13 अक्टूबर को भरौली गांव के निवासी खुर्शेद पुत्र जाकिर थाना कसया ने अपने रिश्तेदारों के सहयोग से झांसा देकर अगवा कर लिया था। जिसके उपरान्त मामला साम्प्रदायिक तनाव का रूख अख्तियार करने लगा था।

पुलिस ने युवती के पिता के तहरीर पर खुर्शेद व गम्भीरिया निवासी उसके सहित चार व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 1307/12 धारा 363, 366 के तहत मुकदमा दर्ज कर युवती को बरामद कर लिया था।

पीडि़ता ने डीएम कुशीनगर से लगायत आईजी, डीआईजी गोरखपुर जोन के अलावा महिला आयोग नई दिल्ली को भेजे गये शिकायती पत्र में बतायी है कि गांव की जैनब पुत्री कलामुद्दीन उसकी सहेली थी। जिसके घर उसका आना-जाना बना रहता था। उसी दौरान उसके सहेली का रिश्तेदार खुर्शेद भी आता जाता रहा। सहेली व उसकी मां दबाव बनाने लगे कि वह उसके साथ जाये पर वह इंकार करती रही।

इसी बीच एक साजिश के तहत दोनों मां बेटी उसको गांव के बाहर ले गये और घात लगाये टैम्पों में बैठे खुर्शेद के हवाले उसको जबरिया सौंप दिया था। जिसके उपरान्त खुर्शेद शादी का झांसा देकर अपने एक रिश्तेदार के सहयोग से दिल्ली ले गया और बल प्रयोग कर शारीरिक संबंध बनाकर यौन शोषण करता रहा। मौका मिलने पर उसके द्वारा दी गयी सूचना पर मुकामी पुलिस ने आजमगढ़ में उसे बरामद कर उसकी जान बचायी।

पीडि़ता ने बताया है कि उसे पूरे ग्यारह दिन महिला थाने में अभियुक्त की तरह रखा गया था। इस दौरान मुकदमे का विवेचक तथा महिला थानेदार व अभियुक्त के रिश्तेदार डरा धमका कर भारी दबाव बनाते रहे। यौन शोषण की शिकार 14 वर्षीय युवती ने आला अफसरों को भेजी गयी शिकायती पत्र में बताया है कि मुकदमे का विवेचक दरोगा अभियुक्तों से दुरभि संधि कर जातिय दबाव बनाते रहे।

उनके द्वारा बताये गये शब्द को जज के सामने नहीं कहने पर नारी निकेतन भेज देने का भय दिखाते और धमकी देते रहे। जिसके चलते वह न्यायालय में अपनी अथाह पीड़ा को बता नहीं सकी थी। पीडि़ता ने संबंधित मुकदमे के विवेचक बदलते हुए पुनः बयान करा कर अभियुक्तों को दंडित किये जाने की मांग की है।

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