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बुद्ध की आस्था ने न्यायधीशों को बनाया बौद्ध भिक्षु



कुशीनगर। भगवान बुद्ध की धरती बुद्ध से जुड़ी आस्था ने थाईलैंड से भारत आये न्यायधीशों को चीवर पहनने पर मजबूर कर दिया।

थाई न्यायधीशों के भारत की यात्रा का मुख्य उद्देश्य थाईलैंड के महाराजा भूमिबोल अदुल्यदेज के दीर्घायु की कामना करने के साथ बौद्ध तीर्थ स्थलों का दर्शन करके बुद्ध के प्रति श्रद्धा प्रकट कर धर्म को गहराई से जानना था इसी के साथ न्यायधीशों की आत्म शुद्धि है ताकि वे अपने निर्णयों में पारदर्शी बन सकें।

 थाईलैंड में बौद्ध धर्म को काफी सम्मान दिया जाता है। जिसका परिणाम शनिवार को उस समय देखने को मिला जब थाईलैंड के सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस विरात के नेतृत्व में भारत आए जजों एवं न्यायिक अधिकारियों के 250 सदस्यीय टीम ने स्थानीय महापरिनिर्वाण बुद्ध विहार एवं रामाभार स्तूप की पारंपरिक रीति रिवाज से पूजन अर्चन की और तथागत की लेटी प्रतिमा पर श्रद्धापूर्वक चीवर चढ़ाया।

भारत में बौद्ध में दर्शन को आये थाईलैंड सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट जज सुपावित ने बताया कि 5 फरवरी को 89 जजों ने बोधगया में चीवर धारण किया। डा. फ्रा प्रीचा के निर्देशन में शनिवार को यहां पूजन करने के बाद टीम लुंबिनी रवाना हो गयीं। 11 फरवरी को सारनाथ में भिक्षु बने 81 न्यायधीश चीवर छोड़ देंगे, किंतु 8 जज 3 माह तक बौद्ध भिक्षु बने रहेंगे।

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