बैंकाक एयरवेज ने पहली वार बौद्ध भिक्षुओं को पहुचाया कुशीनगर
गुरूवार को लुम्बनी के आने के बाद गोरखपूर से हुआ रवाना दल
कुशीनगर । बैंकाक एयरवेज के नेतृत्व में थाईलैण्ड के बौद्ध श्रद्धालुओं का 84 सदस्यीय दल पहली वार भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए बुधवार को कुशीनगर पहुचा।
कुशीनगर की घरती पर पहुचे इस दल ने मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर, रामाभार स्तूप में विशेष पूजा-अर्चन किया और एवं भारत थाईलैण्ड मैत्री एवं सुख एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
जानकारी के अनुसार थाईलैण्ड से इन श्रद्धालुओं को लेकर आने वाले बैंकाक एयरवेज की लैंडिंग गोरखपुर के हवाई अड्डे पर हुई। जहां से कड़े सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह दल सीधे कुशीनगर के एक निजी होटल पर आया। जहां से डा. फ्राराजरतन रंगसी एवं डा. पी. खोमसोर्न के नेतृत्व में इस एयरवेज के मालिक प्रासर्ट उनकी पत्नी वानली, सुश्री प्रपाई, अपिराही, अपिनात एवं इसमें शामिल अन्य लोग सायं लगभग 4ः30 बजे मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर आये और यहां फ्राराजरतन रंगसी, डा. पी.खोमसोर्न एवं डा. फ्राप्रिचा के निर्देशन में आधे घण्टे तक पूजा पाठ कर चीवर चढ़ाया।
इसके उपरान्त यह दल रामाभार स्तूप गया और वहां भी इन्होंने पूजा अर्चन किया। बताया जा रहा है कि यह दल बोधगया, श्रावस्ती के उपरान्त कुशीनगर आया । इसके बाद पुनः यह दल गुरूवार की सुवह 4ः45 मिनट पर सड़क मार्ग से लुम्बिनी को लुम्बनी के लिए रवाना हो गया। इसके बाद लुम्बनी से फिर यह दल गुरूवार को करीब 5 बजे गोरखपुर पहुचा और वहां से अपने गन्तव्य के लिए रवाना। इस दल के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कुशीनगर के चप्पे-चप्पे पर भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गयी थी।
कुशीनगर की घरती पर पहुचे इस दल ने मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर, रामाभार स्तूप में विशेष पूजा-अर्चन किया और एवं भारत थाईलैण्ड मैत्री एवं सुख एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
जानकारी के अनुसार थाईलैण्ड से इन श्रद्धालुओं को लेकर आने वाले बैंकाक एयरवेज की लैंडिंग गोरखपुर के हवाई अड्डे पर हुई। जहां से कड़े सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह दल सीधे कुशीनगर के एक निजी होटल पर आया। जहां से डा. फ्राराजरतन रंगसी एवं डा. पी. खोमसोर्न के नेतृत्व में इस एयरवेज के मालिक प्रासर्ट उनकी पत्नी वानली, सुश्री प्रपाई, अपिराही, अपिनात एवं इसमें शामिल अन्य लोग सायं लगभग 4ः30 बजे मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर आये और यहां फ्राराजरतन रंगसी, डा. पी.खोमसोर्न एवं डा. फ्राप्रिचा के निर्देशन में आधे घण्टे तक पूजा पाठ कर चीवर चढ़ाया।
इसके उपरान्त यह दल रामाभार स्तूप गया और वहां भी इन्होंने पूजा अर्चन किया। बताया जा रहा है कि यह दल बोधगया, श्रावस्ती के उपरान्त कुशीनगर आया । इसके बाद पुनः यह दल गुरूवार की सुवह 4ः45 मिनट पर सड़क मार्ग से लुम्बिनी को लुम्बनी के लिए रवाना हो गया। इसके बाद लुम्बनी से फिर यह दल गुरूवार को करीब 5 बजे गोरखपुर पहुचा और वहां से अपने गन्तव्य के लिए रवाना। इस दल के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कुशीनगर के चप्पे-चप्पे पर भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गयी थी।
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