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कुशीनगर में होगी रेलः 1980 के सपने को पूरा होने में लग गये 33 साल


    रेल के शुरू होते ही दौड़ उठेगा पर्यटन उद्योग


कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली कुशीनगर को हवाई मार्ग के साथ अब रेल मार्ग से भी जोड़ दिये जाने का 1980 में देख गया सपना जल्द ही पूरा हो जायेगा। रेल बजट के साथ विभाग ने सत्र 2013-14 के लिए अपनी योजना बना ली है।

ज्ञातव्य हो कि इस अंर्तराष्ट्रीय पयर्टक स्थल को लम्बे समय से रेल सुविधा की आवश्यकता थी। आने वाले हर रेल बजट में इसकी आस जगती और मिट जाती थी। यही वजह रही कि आजादी के बाद से आज तक यहां रेल लाइन न बिछ सकी और न ही रेल दौड़ पायी। अधूरे पड़े इस सपने के साथ पर्यटन उद्योग भी प्रभावित हो रहा। जब क्षेत्रीय सांसद कुंवर आरपीएन सिंह केंद्र में मंत्री बने तो लगा कि कुशीनगर की यह हसरत पूरी हो जाएगी लेकिन इसके पूर्व के रेल बजट में निराशा ही हाथ लगी।

इस बार कुशीनगर को पूरा सम्मान मिला और रेल मंत्री ने सदन में घोषणा की कि सिद्धार्थनगर से पडरौना वाया कुशीनगर होते हुए गोरखपुर ट्रेन दौड़ेगी। मतलब बुद्ध स्थली कुशीनगर भी अब रेल की पटरी से जुड़ जाएगी। इसके साथ ही यहां पर्यटन उद्योग को भी रेल की तरह दौड़ने लगेगा।

कुशीनगर में रेल लाइन की सुविधा न होने से बौद्ध श्रद्धालुओं की अपेक्षित संख्या यहां नही पहुंच पाती है। जिसको लेकर 1876 की खुदाई में प्रकाश में आए इस महत्वपूर्ण पर्यटक स्थली को रेल लाईन से जोड़ने की मांग वैसे तो शुरू से ही चल रही थी लेकिन 1980 में इसको लेकर मांग तेज हुई। पहल भी हुई लेकिन बात ठंडे बस्ते में जाती रही। हर रेल बजट निराश करके जाता रहा। जब कुंवर आरपीएन सिंह केंद्र सरकार में मंत्री बने तो उम्मीद और बढ़ी। पडरौना में रेल लाइन का विस्तार भी हुआ लेकिन कुशीनगर पर विषेश घ्यान नही दिया गया।
इस सम्बन्ध में उप निदेशक पर्यटन पी के सिंह बताते है कि कुशीनगर अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध पर्यटक स्थल के प्रमुख केंद्र के रूप में पर्यटन व्यवसाय का हब बनकर उभरेगा। आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों में तेजी से इजाफा होगा। क्षेत्रीय लोग भी आवागमन की बेहतर सुविधा से जुड़ेंगे।

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.................................TIMES OF KUSHINAGAR