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कुशीनगर के किसानों का ढ़ाई अरब रूपया रोक लिया चीनी मिलों ने




कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में गन्ना मुल्य भुगतान दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। अब तक कुशीनगर में करीब ढ़ाई अरब रूपये की देनदारी मिल मालिकों के जिम्में हो गयी है और मिल मालिक है कि उसे राके हुए है। इधर गन्ना मुल्य बकाये को लेकर किसान हताश और परेशान है कि क्या करें कोई सुनने वाला ही नही है।

कुशीनगर जनपद के इन आकड़ों पर ध्यान दिया जाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि किसानों की सुनने वाला कोई नही है। गन्ना बाहुल्य इस इलाके की मात्र एक नकदी फसल गन्ना ही है जिसका उत्पादन कर किसान कर्ज से निजात पाना चाहता है।
लेकिन उसके सामने कर्ज से निजात तो दूर है वह अपना भी घर भी मुल्य भुगतान के अभाव में नही चला पारहा है। बैसे तो कुशीनगर में कुछ गिनी चुनी हुयी चीनी मिले ही चल रही है। ऐसे में मिल मालिक गन्ना लेकर उसके मुल्यको रोक ले रहे है। कि कुछ दिन में उस पैसे से कुछ और कमाया जा सके।जिले की पांच चीनी मिलों में से गन्ना मूल्य के भुगतान के मामले में मजबूर किसान का सर्वाधिक 77.91 करोड़ रूपये के. के. बिरला ग्रुप की ढाढ़ा (हाटा) स्थित न्यू इंडिया सुगर मिल ने रोक रखा है।

शुरू अगर कुशीनगर के रामकोला पंजाब चीनी मिल से की जाये तो स्पष्ट होगा कि उक्त चीनी मिल ने गत 30 जनवरी तक पेरे गये 36.90 लाख गन्ना की कीमत के रूप में देय हुए 1 अरब 3 करोड 7 लाख 36 हजार रूपये में से अब तक 39 करोड 34 लाख 13 हजार रूपये का ही भुगतान किया है। इस मिल पर गन्ना मूल्य के मद में 63 करोड 73 लाख 23 हजार रूपये बाकी पड़े हुए है। इस मिल ने अब तक गत 21 दिसम्बर तक पेरे गये गन्ने की कीमत की ही अदायगी की है।

वही सेवरही चीनी मिल ने 30.05 लाख कुन्तल गन्ना की पेराई की और उसकी कीमत के रूप में देय हुए 82 करोड 92 लाख 99 हजार रूपये में से 29 करोड 6 लाख 42 हजार रूपये का ही भुगतान किया है। इस मिल पर 53 करोड 86 लाख 57 हजार रूपये बाकी है। इस मिल ने भी अभी गत 24 दिसम्बर तक पेरे गये गन्ने की कीमत की ही अदायगी की है।

इसी के क्रम में कुशीनगर की खड्डा चीनी मिल ने गत 23 दिसम्बर तक पेरे गये गन्ने की अदायगी की है। इस मिल ने गत 30 जनवरी तक 9.68 लाख कुन्दल गन्ने की पेराई की है और इसकी कीमत के रूप में देय हुए 27 करोड 7 लाख 87 हजार रूपये में से 9 करोड 30 लाख 79 हजार रूपये का भुगतान किया है।

इसी तरह ढाढ़ा चीनी मिल ने अब तक 44.22 लाख कुन्तल गन्ना की पेराई की है। इस मिल ने देय हुए गन्ना मूल्य 1 अरब 18 करोड 7 लाख रूपये में से महज 40 करोड 15 लाख 12 हजार रूपये का भुगतान दिया है। इस मिल पर सर्वाधिक 77 करोड 91 लाख 88 हजार रूपये गन्ना मूल्य बाकी है। वास्तव में इस चीनी मिल ने गत 22 दिसम्बर के बाद पेरे गये गन्ना की कीमत के सापेक्ष अब तक एक चवन्नी भी देने की जहमत नही उठायी है।

वही अन्य चीनी मिलों की अपेक्षा कप्तानगंज चीनी मिल का प्रदर्शन फिलहाल बेहतर माना जा सकता है। इस चीनी मिल ने गत 7 जनवरी तक पेरे गये गन्ने की कीमत का भुगतान किसानों को दे दिया है, जबकि अन्य चीनी मिले अभी पिछले दिसम्बर महीने के आखिरी हफ्ते में पेरे गये गन्ने की कीमत दी अदा कर सकी है।
जिले की इस चीनी मिल ने गत 30 जनवरी तक 28.01 लाख कुन्तल गन्ने की पेराई की है। जिसकी कीमत के रूप में देय हुए 77 करोड 79 लाख 33 हजार रूपये में से 48 करोड 35 लाख 18 हजार रूपये का भुगतान भी कर दिया है। अब इस मिल पर 29 करोड़ 44 लाख 15 हजार रूपये ही गन्ना मूल्य के मद में शेष रह गये है।

ऐसे में कुल मिलाकर जिले की पांचो चीनी मिलों ने 1 करोड 48 लाख 86 हजार कुन्तल गन्ने की पेराई की है। जिसकी कीमत 4 अरब 8 करोड 94 लाख 55 हजार रूपये हुयी। जिसमें से महज 1 अरब 66 करोड 21 लाख 64 हजार रूपये का ही भुगतान किया गया है। यानी जिले की पांचों चीनी मिलें को मिलाकर चालू पेराई सत्र में गन्ना मूल्य के मद में देय हुई रकम के सापेक्ष 50 प्रतिशत से भी कम का भुगतान किसानों को मिल पाया है।
इस संबंध में जिला गन्ना अधिकारी दिलीप कुमार सैनी ने बताया कि हर चीनी मिल के प्रबंधन से कहा गया है कि 14 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान हरहाल में कर दे। अन्यथा किसी प्रकार की कानूनी पाबंदी की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जायेगी। अगर मिल वाले नहीं चेते तो उन्हें बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान तो करना ही होगा, साथ में अभियोजन की कार्रवाई का भी सामना करना पडेगा।

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