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कुछ ही बर्षो में होटल व्यवसाय का होगा 75 करोड़ का कारोबार




कुशीनगर । भगवान बुद्ध की परिनिवार्ण स्थली आने वाले दो से तीन सालों में कुशीनगर के होटल व्यवसाय को सालाना 75 करोड़ के उपर करने वाली है क्योकि मैत्रेय व अन्तराष्ट्र्रीय हवाई अड्डा के निमार्ण के बाद यह क्षेत्र अत्यधिक विकसित हो जायेगा। अभी यहां स्थापित होटल सलाना तेरह करोड़ का करोबार दे रहे है।

ज्ञातव्य हो कि उत्तराखंड के अलग होने के बाद प्रदेश में बौद्ध सर्किट के पर्यटन विकास का मार्ग खुल गया। उत्तर प्रदेश सरकार कुशीनगर का विकास केवल बौद्ध देशों के पर्यटकों के लिये ही नहीं बल्कि यूरोपीय देशों के पर्यटकों को भी ध्यान में रखकर कर रही है। होटल सेक्टर तो पर्यटन की आधारभूत आवश्यकता है। यही कारण है कि इन्हे सरकार सहूलियत भी दे रही है।
इघर कुशीनगर में इस समय यूपी टूरिज्म के एक होटल के अलावा प्राइवेट सेक्टर के तीन थ्री स्टार होटल हैं। दर्जन भर छोटे होटल भी कारोबार कर रहे हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां के बौद्ध बिहारों में भी ठहरते हैं। कुल मिलाकर कुशीनगर का होटल सेक्टर सालाना करीब 13 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है।
एक नजर यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या देखी जाये तो वर्ष 2006 में विदेशी पर्यटको की संख्या 32,500 रही तो वही बर्ष 2007 में विदेशी पर्यटकों की संख्या 39,855 हो गयी। यही हाल बर्ष 2008 में रहा और विदेशी पर्यटको की संख्या बढ़कर 41,638 हो गयी। बर्ष 2009 में 45,576 इतने तथा बर्ष 2010 में विदेशी पर्यटको की संख्या 51,525 हो गयी और बर्ष 2011 में 59,650 हो गयी। इस तरह प्रत्येक साल पर्यटको की संख्या में इजाफा होता रहा है।
मैत्रेय परियोजना और इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण पूरा होते ही यह कारोबार करीब 75 करोड़ के सालाना  आंकड़े को भी पार कर सकता है। इस संभावना को देखते हुए एक थ्री स्टार होटल के निर्माण के लिये दिल्ली के कारोबारियों ने महापरिनिर्वाण मंदिर मार्ग पर तीन एकड़ जमीन लेकर बाउंड्री करा दी है।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली के ही एक और कारोबारी ने महापरिनिर्वाण मार्ग पर ही 40 डिस्मिल जमीन लेकर स्टार फ्री होटल के निर्माण के लिये पुरातत्व विभाग में एनओसी के लिये आवेदन किया है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 220 एकड़ के कामर्शियल जोन में भी एक फाइव स्टार होटल, एक थ्री स्टार होटल तथा एक स्टार फ्री होटल का निर्माण होना है।

मैत्रेय और एयरपोर्ट परियोजना के मद्देनजर दर्जनों छोटे व्यवसायियों ने भी गेस्टहाउस के लिये जमीन खरीद रखी हैं। कई लोगों ने आवासीय उद्देश्य के साथ-साथ पेइंग गेस्ट रखने के मकसद से भी जमीन खरीदी हुई है। मैत्रेय तथा एयरपोर्ट परियोजना के आकार लेने के साथ ही अन्य प्रस्तावित होटल भी अस्तित्व में आ जायेंगे।
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सारनाथ चक्रबर्ती, प्रबन्धक पथिक निवास बताते है कि दुनिया भर के छह मिलियन बौद्ध अनुयाइयों को ध्यान में रख कर चला जाये तो मैत्रेय और एयरपोर्ट परियोजना से पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। यदि चार गुना भी पर्यटक बढ़े तो होटल कारोबारी ही क्यों हर सेक्टर के लोगों के साथ साथ सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा।

पर्यटन उप निदेश पी के सिंह बताते है कि मैत्रय व एयरपोर्ट के चालु होते ही होटल व्यवसाय का करोबार बढ़ जायेगा और इसे कहा नही जा सकता है कि ये किस-किस आकड़ें को पार कर जायेगा।

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