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पुर्वाचंल की महामारी इंसेफेलाइटिस से मासूमों की मौतों का सिलसिला जारी




  • दो मासुमों ने दम तोड़ा 

कुशीनगर।  पुर्वाचंल की महामारी इंसेफेलाइटिस से मासूमों की मौतों का सिलसिला कुशीनगर जिले में थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो और मासूमों ने दम तोड़ दिया। एक बच्चा मेडिकल कालेज में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।

कुशीनगर के विशुनपुरा विकास खण्ड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले मंसाछापर बाजार निवासी लालजी जायसवाल का तीन वर्षीय पुत्र ऋषि एक सप्ताह पहले बीमारी की चपेट में आ गया।

परिजनों ने उसे पडरौना के निजी अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन बीमारी बढ़ती गई।डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान शनिवार की रात उसकी मौत हो गई।

यही नही इसी गांव में मंसाछापर के ही नोनिया टोली में 23 सितंबर को ही अवधेश चैहान के एक साल के बेटे बबलू की इसी बीमारी से मौत हो गई थी।

वही बुलहवा ग्राम सभा के महजिदिया टोला निवासी निजामुद्दीन का 13 वर्षीय पुत्र सेराज एक सप्ताह से इंसेफेलाइटिस की चपेट में था। बीआरडी मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान शनिवार की रात लगभग 12 बजे उसकी मौत हो गई।

इसी ग्राम सभा के बैरा टोला निवासी विरेंद्र सैनी का सात वर्षीय पुत्र सत्यम भी मेडिकल कालेज में इसी बीमारी से जूझते हुए दुनिया से चल बसा था।

यही नही तमकुही विकासखंड के गांव अहलादपुर निवासी संजय का पांच वर्षीय पुत्र राज भी इस बीमारी के चपेट में आ गया है। उसे मेडिकल कालेज में इलाज हेतु भर्ती कराया गया है, जहां वह जीवन और मौत के बीच झूल रहा है। 

ज्ञातव्य हो कि विभागीय आकड़ों के मुताविक अब ए ई एस से मरने वालों की संख्या 47 पर पहुच गयी है। वही प्राईवेट आकड़ें सौ के उपर पहुच गये है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग के कान में जु तक नही रेंग रहा है। रोल माडल होने के बावजुद इस जिला में अब तक मलेरिया अधिरियों की कमी ही कमी है। 

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