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अनुकूल मौसम में इस बार बढ़ जायेगी सारस की संख्या



कुशीनगर । पर्यावरण का प्रभाव इस बार सारस पर अनुकूल पड़ा है जिसके कारण उनके जनसंख्या में बृद्धि के आसार प्रबल हो गये है। इन से जुड़े संस्थानों को इनके संरक्षण के लिए ज्यादे मश्कत नही करनी पडेगी।

ज्ञातव्य हो कि सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है। जिसके संरक्षण के लिए तमात संस्थाए ऐड़ी से चोटी तक लगा देती है। बर्तमान समय में पर्यावरण उनके अनुकूल हो गया है।

ऐसे में सारसों का प्रजनन काल जुलाई से लेकर सितम्बर तक का होता है। जिसके लिए वे तालाबों से लेकर धान की खेतों तक में घोंसले बनाते हैं। बारिश समय से नहीं हुई तो घोंसला बनाने में उन्हें कठिनाई आती है, लिहाजा वे प्रजनन नहीं कर पाते है। बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार देश में देशी प्रजाति के 10 हजार से अधिक सारस हैं।

यदि अनुकूल मौसम के चलते सभी ने प्रजनन कर लिया तो निश्चित तौर पर सारसों की संख्या में इस वर्ष वृद्धि होगी। 2005 में प्रदेश सरकार ने राजकीय पक्षी सारस के संरक्षण हेतु समिति बनायी और इसमें 10 करोड़ रुपये भी दिये लेकिन प्रतिकूल मौसम के चलते इनके संरक्षण में कठिनाई आयी।

इस पक्षी के संरक्षण हेतु भारत सरकार ने वेस्टलैण्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम नाम से परियोजना शुरू की है। जिसके प्रयासों के परिणाम अनुकूल मौसम के आहट से बलवती हो गयी है। 
इस संबंध में जिला वन संरक्षक आरपी सिंह ने कहा कि संस्थानों के साथ मिलकर सारसों के संरक्षण का प्रयास विभाग द्वारा किए जाते रहे हैं।

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