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कुशीनगर में एक ऐसा गांव जहां हर साल पैदा होते है इन्जीनियर

कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक ऐसा गांव है जहा हर साल इन्जीनियर पैदा होते है। इस गांव की मिशाल का लोहा विदेश तक मानता है।
देश ही नही विदेशों में अपनी कृति से कुशीनगर का रोशन करने बाले इन घुरन्धरों से पूरा गांव गौरवान्वित हो रहा है।

 इस गांव में अभी 90 इंजीनियर हैं। इतना ही नहीं एक दर्जन युवा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं।
यह गांव है कुशीनगर के हाटा विकास खंड में कुरमौटा मंझरियागांव के नाम से प्रसिद्ध है सात टोलों में बंटे इस गांव की कुल आबादी करीब छह हजार है। 

इसमें सर्वाधिक 70 प्रतिशत घर सैंथवार के लोंग निवास करते है। इसके बाद 20 प्रतिशत आबादी ब्राह्मण जाति के लोगों की है। शेष 10 प्रतिशत में अनुसूचित और पिछड़ी जाति के अन्य लोग निवास करते हैं।
जिले के अन्य गांवों की तरह यहां भी खेती ही मुख्य पेशा है। जर्जर गरीबी और बेरोजगारी की मार झेलते इस गांव में आशा की पहली किरण दिखी वर्ष 1977 में, जब इस गांव के मारकंडेय ओझा ने जनता इंटर कालेज सोहसा मठिया से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के पश्चात आईआईटी कानपुर में बीटेक में प्रवेश लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मारकंडेय ओझा एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी पा गए। वर्ष 1980 में इस गांव के वशिष्ठ सिंह ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और विभिन्न कंपनियों में नौकरी करते हुए आज नाइजीरिया में एक कंपनी के प्रबंधक पद पर कार्यरत हैं।

इसके बाद तो इस गांव में मानों दैवि कृपा हो गयी एक के बाद एक कारवां आगे ही बढ़ता ही गया। शेषनाथ, श्रीनिवास, अवधेश, हीरामन प्रसाद, प्रमोद, दिवाकर सिंह, प्रदीप सिंह, आशुतोष सिंह, विजय प्रताप सिंह, सुनील सिंह, सुशील सिंह, अश्विनी सिंह, अनिकेत सिंह समेत अब तक 90 लोग इस गांव के इंजीनियर बन चुके हैं।

इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादे नौजवान प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों में पढ़ाई भी कर रहे हैं। इस गांव के निवासी श्रीनिवास आईआईटी कानुपर में लेक्चरर हैं। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

ऐसा नही कि इस गांव के इन्जीनियरों की पढ़ाई कही और हुयी हो इस गांव के अधिकांश इंजीनियरों की प्राथमिक शिक्षा श्रीराम जानकी दुर्गा जी प्राथमिक विद्यालय सतगड़ही में हुई है।

यही नही इंजीनियरों के इस गांव में नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और समुचित प्रोत्साहन देने के लिए एक समिति बनी हुई है। मां सतगड़ही ग्रामीण विकास समिति नाम की यह संस्था हर साल मेधावी छात्रों की परीक्षा कराती है और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए उचित मार्गदर्शन देती है। संस्था आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों को आर्थिक सहायता देती है।

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