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महंगाई में भरी पड़ी त्यौहारो की रंगत


मुजफ्फरनगर। महंगाई ने हर चीज को प्रभावित किया है। लेकिन रिश्तो की डोर पर यह बेअसर है। इसका असर इस बार बाजार में देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में राखी की कीमतों में इस वर्ष 25 से 30 फीसदी का इजाफा होने के बावजूद बाजार में राखियों की मांग में बेतहाषा वृद्धि हुई है।

त्यौहार से दो दिन पहले राखियों का कारोबार अपनी चरम पर है। मुजफ्फरनगर सहित कस्बों व देहात में  भी सडकों किनारे चारपाईयों पर राखियों की दुकान सजी धजी दिखाई दे रही है जिन पर भारी संख्या में राखियां खरीदने वालों की भीड उमडी हुई है। अपने भाईयों की कलाई पर प्यारी और सुंदर राखी बांधने के लिए बहने दुकानों पर आज पूरे उत्साह के साथ खरीदारी कर रही है। राखी खरीद का आज सबसे बडा दिन है।

उल्लेखनीय है कि इस साल राखियों के बाजार में परंपरागत रेषम की डोरी वाली राखी नदारत है। उसकी जगह डिजाइनर एवं फैषनेबल राखियों ने ले ली है। रक्षाबंधन पर चीनी ड्रैगन काबिज हो गया है। भगत सिंह रोड पर राखी व्यवसायी राजेष के अनुसार राखियों को लेकर बच्चों में ज्यादा उत्साह है। यही वजह है कि इस बार बाजार में कार्टून कैरेक्टर युक्त राखियों में आप जिस भी कार्टून कैरेक्टर का नाम लेंगे उस कैरेक्टर  व मोटियों वाली राखी आपको मिल जायेगी। इस बार चाइनीज राखियों में हनुमान और बाल गणेष की विभिन्न मुद्राओं वाली राखी बाजार में उपलब्ध है। कार्टून टाइप के राखियों की कीमत 5 से 20 रुपये तक है। 

इस बार बाजार में लाइट वाली राखियां भी बिक रही हैं। लेकिन इसकी कीमतें कुछ ज्यादा हैं। बाजार में चायनीज स्टोन वाली राखियों की अच्छी खासी डिमांड है। इन राखियों में 11, 21, 51 स्टोन लगे हुए हैं। इनकी कीमत 10 से 50 रुपये तक है। व्यापारियों का कहना है कि महंगाई की मार से राखी का बाजार भी अछूता नहीं है। पर इसके आगे रिश्तो  की डोर ज्यादा मजबूत है। यही वजह है कि ओबरा, डाला, चोपन के दुकानों में महंगाई के बावजूद रौनक है।

यही नही मंहगाई की मार रोजेदारों पर भी भारी पड रही है। रमजान का महीना शुरू होते ही फलों की कीमतें बढ़ गई हैं। रोजेदारों को परेषानी हो रही है। हालत यह है कि खुदरा बाजार में केले की कीमत पचास रुपये प्रति दर्जन तक पहुंच गई है। रमजान से पहने यह प्रति दर्जन अधिकतम 30 से 40 रुपये तक उपलब्ध था।  वहीं दूसरी ओर आम के दाम में आसमान छू रहे है। यही स्थिति अन्य फलों की भी है।

रोजेदारों को फलों की खरीददारी में पिछले साल की तुलना में इस साल कटौती करनी पड रही है। नई मंडी के फलों के कारोबारियों के अनुसार, रमजान के बाद अब तक फलों की कीमतों में थोक में अधिकतम पांच रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मुनाफाखोरी के कारण खुदरा बाजार में पांच रुपये से 15 रुपये तक की वृद्धि देखी जा रही है। मंडी में केला व आम थोक में अधिकतम 35 रुपये में बिका। खालापार निवासी रोजेदार अनीसा बेगम कहती हैं कि इस वर्ष बाजार में फलों की कीमत को देखकर सिर चकरा जाता है।

उसने केला पचास रुपये दर्जन की दर से खरीदा। अन्य फलों में सेब जहां चार पांच दिन पूर्व तक खुदरा में एक सौ रुपये से 120 रुपये तक मिल रहा था, अब वह 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। हालांकि मंडी के कारोबारियों का कहना है कि सेब की आवक कम होने से कीमतें बढ़ी हैं। मंडी में इन दिनों ज्यादा सेब नहीं आ रहे हैं। लेकिन आम बाजार में रौनक बिछाये हुए है जो हर किसी के दिल को छू लेता है और फिर वह आम पर लट्टू होकर उसे खरीदने के लिए मजबूर भी हो जाता है। जम्मू कष्मीर से सेब की आवक शुरू होते ही कीमतें घटेंगी। आम जहां रमजान शुरू होने से पूर्व 10 से 15 रूपये प्रति किलो की दर से धडल्ले के साथ बिक रहा था वहीं आम के दाम में रमजान शुरू होते ही आसमान छू गये और आम के दामों के दोगुनी वृद्धि होते ही आम 20 से 30 रूपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।

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