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एक नौकरशाह से हार गया कुशीनगर का समाजसेवी


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक नौकरशाह के सामने समाजसेवा हार गयी । थानाध्यक्ष और समाजसेवी के बीच न्याय की लड़ाई में नौकरशाही की पताड़ना से समाजसेवी की हुयी मौत का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। आन्दोलन से शुरू हुए इस मामले को फिर आन्दोलन पर ही खत्म किया गया।
ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर के फर्द मुंडेरा निवासी सत्यप्रकाश दूबे और एसओ कप्तानगंज के बीच विवाद की शुरुआत पिछले साल 24 दिसंबर को हुई थी। कप्तानगंज थाने के गांव हरपुर बरवां निवासी भुटेली शर्मा का आठ वर्षीय पुत्र धर्मपाल गायब हो गया। चार बेटियों के बाद पैदा हुए इस बेटे की तलाश में भूटेली ने दिन-रात कर कर दिया था। बच्चे की तलाश और संदिग्धों पर कार्रवाई की मांग को लेकर सत्यप्रकाश के नेतृत्व में कई बार धरना-प्रदर्शन हो यिा गया ।
ग्रामीणों एवं घरवालों के मुताबिक बच्चे के गायब होने के करीब एक महीने बाद भूटेली के मोबाइल पर तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। पुलिस ने नंबर ट्रेस किया तो यह भूटेली के पट्टीदारी का ही निकला। पुलिस ने इस युवक को पकड़ा तो जरूर, लेकिन सुलह समझौता करके छोड़ दिया। 

28 मार्च को समाजसेवी और फर्द मुंडेरा गांव निवासी सत्यप्रकाश दूबे के नेतृत्व में ग्रामीणों ने हरपुर बरवां चैराहे पर हाटा-कप्तानगंज मार्ग जाम कर दिया। मौके पर पहुंचे एसडीएम हाटा और सीओ तमकुही ने 15 दिन का लिखित आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करा दिया। भूटेली का लड़का नहीं मिला तो पुनः 18 अप्रैल को यहीं पर सत्यप्रकाश दूबे के नेतृत्व में दुबारा धरना-प्रदर्शन हुआ। इस बार पुलिस अधीक्षक द्वारा एक सप्ताह का समय लिए जाने के बाद आंदोलन स्थगित हो गया।
अब हार-थककर भूटेली ने थानेदार के खिलाफ ही 156 (3) के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। सत्यप्रकाश दूबे के घरवालों समेत बुधवार को सड़क जाम कर रहे लोगों का आरोप रहा है कि इसके बाद से एसओ कप्तानगंज ने सीधे सत्यप्रकाश दूबे को निशाने पर ले लिया और इस मामले को समाप्त कराने के लिए दबाव बनाने लगा। 18 जून को सत्यप्रकाश दूबे की ट्रैक्टर-ट्राली को कप्तानगंज पुलिस ने एक नहर के किनारे से मिट्टी काटते हुए जब्त कर लिया।

 यह ट्रैक्टर सत्यप्रकाश दूबे के पिता के नाम पर है, लेकिन पुलिस ने सत्यप्रकाश दूबे के विरुद्ध ही गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया। सत्यप्रकाश ने इस दर्ज मुकदमे की जांच कराने के लिए सीओ, पुलिस अधीक्षक और डीआईजी के अलावा डीजीपी तक से गुहार लगाई। 02 जुलाई को वे इसी सिलसिले में सीओ कसया से मिलने के बाद गोरखपुर गए थे, जहां गोरखपुर-देवरिया मार्ग पर सड़क हादसे में इनकी मौत हो गई थी।

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