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रोजेदार कर रहे हैं पानी बचाने की पहल




मुजफ्फरनगर। रमजान के दौरान लाखों, मुसलमान रोजेदार इबादत के साथ ही पानी बचाने की मिसाल भी कायम कर रहे है। आम व्यक्ति के शरीर को गर्मी के दिनों में तीन से पंाच लीटर पानी पीने के लिए चाहिए होता हैं। रमजानों में मुस्लिम रोजेदार लगभग16 घंटे के अपने दिन के रोजे में पानी को होठों पर नहीं लगाते हंै।

 ऐसे में पीने के पानी से दूर रहकर रोजेदार कहीं न कहीं पानी बचाने की पहल भी किये है। रोजे की इबादत की कठिन परीक्षा होती है। छोटे शहरों में दिन के समय में लाखों लीटर पानी इस तरह से बचत हो रहा है। रोजेदार रेाजा खोलने के बाद भी कुछ घंटों में उतना पानी नहीं पी पाता है जितना कि उसे चैबीस घंटों में चाहिए।

जुलाई का महीना की 21 तारीख से रमजान के पवित्र रोजों के साथ ही शुरू हुआ था। अब रोजे लगभग आधा पड़ाव पार कर चुके हैं। पाक साफ रूप से नेकनीयत से रोजे रखकर अपनी परीक्षा दे रहे हैं। रोजे में जिस तरह से भूखे प्यासे रहकर काम करते हुए समय को आगे बढाया जाता है यह किसी चुनौती से कम नहीं है। इस बार जुलाई की पसीने भरी गर्मी में रोजे भी बहुत लंबे हो रहे है। सर्दी के समय में जब रमजान पड़ता है तो वह दस से ग्यारह घंटे तक ही होता था। अब पहला रोजा ही इस बार 15 घंटे का था। भीषण गर्मी में भूखे प्यासे रहकर उन काम करने वाले लोगों पर अधिक भारी पड़ता है जो मेहनत और ताकत का काम करते हैं। श्रमिक वर्ग रिक्शा चालकों व मंडी में बोरी ढोने वाले पल्लेदार तो जिस मेहनत से भूखे प्यासे रहकर रोजे रखते है वे इबादत की अनोखी इबारत ही लिखते है। 

सवाल केवल पीने के पानी का ही उठाया जाये तो यह हर किसी रोजेदार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह विचार शायद किसी रोजेदार के मन में रमजान के दौरान कभी न आया हो लेकिन यह सच है कि रोजेदार रमजान में पानी नहीं पीने के कारण लाखों लीटर पानी की भी बचत कर रहे है। दुनिया में पानी की मात्रा बहुत ही सीमित है। इस पर जिंदा रहने वाले मानव जाति व दूसरी प्रजातियों को इस बात की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि उन्हें हमेशा पानी मिलता रहेगा क्योंकि ध्रती पर दो तिहाई हिस्सा पानी से घिरा है लेकिन इसमें से ज्यादातर हिस्सा इतना खरा है कि काम में नहीं ला सकते है।

जल वास्तव में जीवन का आधर है और जल के बिना हम अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते है। मनुष्य के शरीर का तीन चैथाई भाग जलमय है। वेद में भी जल की महत्ता बताकर पूरे एक सौ पर्यायवाची बताये गये हैं। रमजान में कहीं न कहीं जिस तरह से रोजे के अंदर छिपे इस जल प्रबंधन का व जल बचत की प्रत्येक वर्ष करते हैं। यह हर नागरिक के लिए भी सोचने का विषय है। हालांकि रमजान के उद्देश्यों में जल बचत का कहीं कोई एजंडा नहीं है। लेकिन रमजान के दौरान पीने के जल से दिन भर दूर रहने से कहीं न कहीं बडे स्तर पर पानी की बचत देखी जा सकती है।


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