भगवान बुद्ध के टफेन्ड ग्लास में कैद होने के दिन आये
कुशीनगर । भगवान बुद्ध के अब कैद होने के दिन आगये है। बौद्ध भिक्षु और पुरातत्व विभाग के 31 वर्षो की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद अब पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर सहित माथा कुंवर आदि ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन्हे कैद करने का प्रयास तेज कर दिया गया है।
ज्ञातव्य हो कि यहां के बौद्ध भिक्षु इसमें घुसकर चीवर चढ़ाते थे जिसके घषर्ण से प्रतिमा का क्षरण हो रहा था।
महापरिनिर्वाण मंदिर की लेटी प्रतिमा के क्षरण की शिकायतों पर कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने सबसे पहले इसका केमिकल ट्रीटमेन्ट कराया और अब उसे क्षरण व स्पर्श से बचाने के लिए टफेण्ड ग्लास से घेरे जाने काम शुरू हो गया है।
पटना अंचल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. एस. के. मंजुल के देखरेख में शुरू भगवान बुद्ध की लेटी प्रतिमा को टफेन्ड ग्लास लगाकर घेर जाने का काम अधिकतम एक सप्ताह में ही पूरा कर लिया जायेगा। इसके साथ ही सी.सी. फूटेज कैमरा से भी मन्दिर को लैस किया जायेगा।
इस सम्बन्ध में पुरातत्व संरक्षण सहायक अभिनाशचन्द त्रिपाठी ने इस सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि इसके अतिरिक्त पुरातत्व विभाग ने यहां आने वाले पर्यटकों को नगर पंचायत द्वारा वसूले जारहे पार्किग शुल्क के बदले एक निःशुल्क पार्किग की भी व्यवस्था की जा रही है जहां पर्यटक वाहनों से कोई पार्किग शुल्क नहीं लिया जायेगा। परिसर में शुद्ध पेयजल के लिए वाटर कूलर की व्यवस्था कर दी गयी है।
यही नही पुरातत्व विभाग ने परिनिवार्ण मन्दिर की रंगराई भी करा दी है। पिछले 12 वर्षो से यह मन्दिर रंग के लिए तरस रहा था। असुरक्षित हो गयी माथा कुंवर मंदिर और परिनिर्वाण मंदिर की चाहरदिवारियों को भी ऊंचा कर दिया गया है।
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