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कुशीनगर में पूर्वांचल की महामारी इंसेफेलाइटिस की चलने लगी हवा


  •     अब तक 85 मामले आये
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पूर्वांचल की महामारी इंसेफेलाइटिस की हवा चलने लगी है। मंगलवार तक 85 मामले समने आचूके है। कुशीनगर में इसके लिए अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर भी काम शुरू हो गये है लेकिन अफसोस अभी तक इससे निपटने की कोई विशेष पहल नही हो सकी।
 
भारत का पूर्वांचल इस बीमारी से कराह रहा है। ऐसा नही कि इस बीमारी से निपटने के लिए देश व प्रदेश स्तर के दिग्गजों ने रणनीति न बनायी हो। इस पर अमल के लिए दिल्ली तक बहस हुई, योजनाएं बनीं। जलजनित इंसेफेलाइटिस से निपटने के लिए विभागों के बीच सामंजस्य की कवायदें हुईं। दिल्ली में ग्रुप आफ मिनिस्टर की बैठक में इसी सामंजस्य के तहत काम करने का फरमान जारी हुआ। भारी-भरकम धन स्वीकृत हुआ। अफसोस की इस महामारी से निपटने के लिए परमाणु के हथियार बनाने बालों ने भारत के इस पूर्वांचल को उसी हाल पर छोर दिया।
 
कुशीनगर में यह महामारी प्रत्येक वर्ष अपना विकराल रूप दिखाती है। वर्ष 2011 में जिले से 438 केस सामने आए। इनमें से 43 मामलों को मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिये गये। आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार इस पूरे साल में यहां 27 मौतें हुई थीं। यही हाल इससे पूर्व के वर्षों में भी रहा। हालाकिं इस वर्ष अभी महामारी की हवा के शुरू होने का संकेत मिलना शुरू हो गया। 29 मई 2012 तक इंसेफेलाइटिस के 85 मामले आ चुके हैं।
 
मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. केपी कुशवाहा बताते है कि कुशीनगर महामारी इंसेफेलाइटिस के मामले में संवेदनशील है। हालाकिं हाईलेवल पर गोरखपुर-बस्ती मंडल के जिलों में इंसेफेलाइटिस के लिए अलग आईसीयू व वेंटीलेटर के साथ-साथ प्रशिक्षित डाक्टरों की बात कही जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के लोग भी स्वीकार करते हैं कि वेंटीलेटर न होने के कारण यहां स्थिति गंभीर हो जाती है।
 
हालाकिं वही इस मामले में संयुक्त जिला अस्पताल के सीएमएस डा. जमील अहमद अंसारी बताते है कि दो वेंटीलेटर स्वीकृत हैं, लेकिन अभी मिल नहीं सके हैं। वेंटीलेटर और पर्याप्त संसाधनों होने के बाद स्थिति काफी हद तक सुधर जाएगी।

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