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कुशीनगर में 20 करोड़ खर्च पर भी नही होता शत प्रतिशत शौचालय का प्रयोग


कुशीनगर ।  उत्तर प्रदेश में कुशीनगर में स्वच्छता कार्यक्रम की सफलता के लिए भले ही तमाम प्रयास किये गये। लेकिन कुशीनगर के 956 गांवों में से एक भी गांव ऐसा नही है जहां शत प्रतिशत लोग शौचालय का प्रयोग करते है।कुशीनगर में पंचायती राज विभाग ने शौचालय के लिए जहर खाने वाली प्रियंका नाम की एक महिला को पहले स्वच्छता दूत और फिर ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा की है। 

विभाग स्वच्छता दूत बना कर शायद यही साबित करना चाहता है हम स्वच्छता के प्रति काफी सजग है। कुशीनगर जनपद में संपूर्ण स्वच्छता अभियान के वर्ष 2004-05 से संचालित होने से अब तक करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन दुर्भाग्य है इस कुशीनगर का कि  जनपद का एक भी ऐसा गांव नहीं है, जहां शत-प्रतिशत लोग शौचालय का प्रयोग करते हों।
 
विभाग के अनुसार वर्ष 2004-05 में योजना के संचालन से पूर्व जो सर्वे हुआ था, उस समय कुशीनगर जनपद में 287000 परिवारों में से 10555 घरों में शौचालय बना था। योजना शुरू होने केे बाद हर साल औसतन 50 हजार घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया।

 केवल वर्ष 2011-12 में ही कुशीनगर में 67 हजार घरों में शौचालय बनाने का प्रस्ताव था लेकिन वर्ष के अंत तक मात्र 13913 घरों में ही शौचालय निर्माण पूर्ण हो सके। वर्ष 2011-2012 में जिले के हर घर में शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण हो जाना था। लेकिन जब वित्तीय वर्ष के अंत में भौतिक सत्यापन हुआ तो लक्ष्य की पूर्ति मात्र 53 प्रतिशत पर आकर ही रुक गई। विभागीय रिकार्ड के मुताबिक लगभग 22 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें शौचालय निर्माण के लिए धन जारी कर दिया गया, लेकिन कार्यपूर्ति नहीं मिली।

 हालाकिं इसके लिए शौचालय निर्माण एवं स्वच्छता कार्यक्रमों के प्रति जागरूक करने, योजना को आमजन तक पहुंचाने तथा इसकी रिपोर्टिंग के लिए लंबा-चैड़ा संगठन है। विभागीय जानकारी के मुताबिक संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत जिले स्तर पर मानदेय आधारित एक जिला समन्वयक, ब्लाक लेवल पर पांच हजार रुपया मानदेय वाले दो ब्लाक समन्वयक तथा प्रत्येक गांव में स्वच्छता दूतों की नियुक्ति हुई है।
 
स्वच्छता दूत को शौचालय निर्माण के लिए किसी भी व्यक्ति को प्रेरित करने, शौचालय निर्माण कराने पर 40 रुपये का भत्ता मिलता है। ब्लाक लेवल पर तैनात ब्लाक समन्वयक हर महीने योजना के क्रियान्वयन से संबंधित रिपोर्टिंग करते रहते हैं। इसके अलावा ग्राम स्तर पर पंचायत सचिव, ब्लाक लेवल पर एडीओ पंचायत और जिला स्तर पर डीपीआरओ भी योजनाओं का मूल्यांकन करते हैं। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी कहते है कि जिलाधिकारी आर सैंफिल को इनकी जांच के लिए हो रही है। इस अभियान के तहत बने शौचालयों की फोटो, उसके लाभार्थी के फोटो के साथ मांगी गयी है।

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