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नारायणी नदी में बढ़ते जल स्तर से बाढ़ का खतरा बढ़ा


कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हो रही मूसलाधार वारिस और दुसरी तरफ पहाड़ी इलाके में बरसा पानी भी नदी में आने लगा है। जिससें नरायणी के तटवर्ती बन्धों पर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है । सोमवार से ही मुसलाधार वारिस हो रही है यह बारिस मंगलवार को भी जारी रही।

ज्ञातव्य हो कि कुशीनगर के उत्तर सीमाओं से हो कर बहने वाली नारायणी नदी के बन्धों पर बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है। करीब हर साल नदी की घारा में करोड़ों की सम्पति नष्ट हो जाती है साथ ही जन हानी भी होती ही रहती है।

नदी की घाराओं कों सम्बन्धित विभाग हर साल सरकार से करोड़ों रूपये लेकर निष्प्रभावी बनाने की बात करता है लेकिन अफशोश कि वह काम तबतक शुरू करता हैं जब बरसात आ जाती है और पानी बढ़ने लगता है। बढ़ते पानी के साथ विभाग बोल्डरों को पानी की तरह नदी में बहा देता है और बाढ़ बचाव का ढि़ढ़ोरा पिटने लगता है कारण है कि जब तक यह सब होता है तब तक बरसात भी कम हो गयी रहती है।


नारायणी के 100 किलोमीटर के रेंज में कई बन्धे सम्बेदनशील है जिनका मरम्त कार्य हर हाल में 15 जून से पूर्व हो जाना था। लेकिन विभाग ने पैसे की कमि बता कर काम ही शुरू नही किया। हालत ऐसे है कि अब जल स्तर बढ़ने लगा नदी किनारे बसे लोगों की हालात खराब होने लगी है। नदी की हालत ऐसी है कि भैसहां गेज पर चेतावनी विन्दु से 32 सेमी उपर वह रही है अभी और उपर बढ़ने की सम्भावना बतायी जा रही है। बता दे कि पिछले दो बर्षो में 88 करोड़ की 25 परियोजना लम्वित है।


नदी किनारे बसे लोग बाढ़ बचाव क जिम्मेदारो को कोश रहे है कि वह जो बात बाढ़ आने पर होती है वह बाढ़ से पर्व होती तो वह दिन नीही देखने को मिलता कि हमारे सामने हमारी सम्पति पानी में लिीन हो जाती है।
हालाकि बाढ अभियन्ता इस सम्बनध में बताते है कि काम चल रहा है पैसा जितना मिला है उसे हर हाल में खर्च कर बन्घों को बचाने का काम किया जा रहा है। 

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