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नामुमकिन है रेल व हवाई पथ की यात्राए कुशीनगर से


    इन्ही मुद्दों को अपना कर कईयों ने चमका ली अपनी राजनीति

 

 

कुशीनगर । लाख प्रयासों के बाद भी भगवान बुद्ध की धरती पर से शैलानियों व जनपद वासियों को अभी तक हवाई व रेल पथ की यात्राएं दुरस्थ स्थानों के नाममुमकिन साबित दिख रही है।

जबकि इस जनपद में पूर्व व बर्तमान सरकार के केन्द्र व राज्य की सरकारों में मंत्री रहे निर्वाचित प्रतिनिधियों ने विकास की इतनी रूप रेखा बनायी कि उसी के हवा में कई बार निवार्चित हो गयें पर विकास के इन प्रस्तावों गतिरोधों को समाप्त करने का प्रयास नही किया।हालत ऐसी रही कि कुशीनगर की जनता को विकास में आए गतिरोध से केवल दर्द ही मिला है। 

ज्ञातव्य हो कि आमान परिवर्तन के बाद आज तक पडरौना रेलवे स्टेशन से ऐसी कोई एक्सप्रेस ट्रेन नहीं चली जो सीधे देश की राजधानी से जोडें़ इसके अलावा मेट्रो शहरों की सम्पर्क करा सके। यही बात कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण की रही जहां जहाज उड़ान का सपना भी पिछले चार वर्ष से लटका पड़ा है जिसके कारण पर्यटन विकास की संभावनाओं पर अभी भी विराम लगा हुआ है।

यद्यपि इसके लिए एयरपोर्ट निर्माण के लिए 403 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत है। बुद्ध स्थली को हवाई सेवा से जोड़ने की योजना को धरातल पर उतारने के लिए राज्य व केंद्र सरकार ने तेजी भी दिखाई। निर्माण के लिए 400 करोड़ का टेंडर निकला। निर्माण कार्य के लिए 32 कंपनियों ने आवेदन किया लेकिन बात फाइनेंशियल बिड पर जाकर अटकी हुई है।

हालात ऐसे है कि हवाई उड़ान के जरिये पर्यटन विकास की संभावनाओं पर ग्रहण लगा हुआ है। इस बाबत दिल्ली में कई दौर की बैठकें भी हुई हवाई यात्रा की उम्मीद जगी लेकिन उम्मीद परवान नही चढ़ी। कुशीनगर में श्रीलंका, चीन, ताईवान, थाइलैंड, जापान, कोरिया, बर्मा आदि देशों से शैलानी आते हैं लेकिन सुखद हवाई यात्रा उनके लिए सपना बना हुआ है।

इसी क्रम में परिस्थितियों से जुझ रहे शैलानियों ओर जनपद बासियों को पडरौना से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, जम्मू की सुगम यात्रा के लिए एक्सप्रेस ट्रेनों की सवारी का सपना आज भी अधूरा है। 16 दिसंबर 2011 को भारत सरकार के रेल राज्य मंत्री के एच मुनिअप्पा पडरौना रेलवे स्टेशन पर नव निर्मित रेल पथ कप्तानगंज-थावे अमान परिवर्तन पर पैसेंजर ट्रेन को रवाना करने आए थे तो इस रेल खंड पर लंबी दूरी के एक्सप्रेस ट्रेनों के दौड़ाने की बात कही थी। यद्यपि इस रेल मार्ग पर जब छोटी लाईन थी तो 8 ट्रेने चलती थीं।

उसके बाद परिवर्तन हुआ और अभी लंबी दूरी की ट्रेने नही बढ़ी इस रूट पर पैसेंजर ट्रेनों के सहारे ही यात्रा हो रही है। चलने वाली एक मात्र छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस आपको सप्ताह में एक बार लखनऊ तक ही ले जाती है। अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर विशेष स्थान रखने वाले भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को आजादी के बाद से ही रेल लाइन से जोड़ने की मांग चल रही है। इस पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. सी पी एन सिंह ने सर्वे कराया था।लेकिन वह सर्वे धरा का धरा ही रह गया।

अभी हाल में केन्द्र सरकार के रेल बजट में पुनः कुशीनगर बौद्ध स्थली को रेल पथ से जोड़ने हेतु सर्वे की बात की गयी। यह सर्वे कितनी बार होगा यह तो जब भी चूनाव आता ऐसे बाते सामने जनता को परोस दी जाती है। ंइस जनता की मांग को लेकर कभी जनप्रतिनिधियों ने कोई सार्थक लड़ाई लड़ी ही नही। ऐसे में पर्यटक तो यहां आने से वंचित रह जाते हैं, स्थानीय लोग भी ट्रेन के लिए गोरखपुर का रुख करते हैं। 

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