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पक्तिबद्ध छाया योजना बौद्धनगरी में घ्वस्त


कुशीनगर । भगवान बुद्ध की घरती कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केन्द्र को लेकर लगभग दो दशक पूर्व पर्यटकों की सुविधा के लिए पक्तिबद्ध छाया योजना लागु की गयी थी जो पूरी तरह से फ्लाप हो गई है।

बौद्ध परिपथ के विकास के क्रम में प्रथम चरण के दौरान वर्ष 1992-93 में कुशीनगर में पर्यटन की आधारभूत सुविधाओं में वृद्धि की गई जिसमें बुद्ध तिराहे से रामाभार स्तूप के आगे देवरिया मोड़ तक बुद्ध विहार मार्ग के दोनों किनारे छायादार पौधरोपण सामाजिक वानिकी वन प्रभार कुशीनगर द्वारा कराया गया।

इसका उद्देश्य यह था कि दोनों किनारे लगे छायादार पौधे पाकड़, सीता अशोक, बरगद, मौलसिरी, जकरंडा आदि बढ़ने के बाद उपर वे एक दूसरे से मिल जाएं ताकि गर्मी में सूर्य की रोशनी सड़क पर न पड़े और बुद्ध विहार मार्ग पर चलने वाले पर्यटकों को धूप का असर न हो।

इसी के बाद विद्युतीकरण के तहत पौधरोपण के ही लाइन में विद्युत पोल भी लगा दिए गए। हालांकि वन विभाग ने इसका विरोध किया और विभाग से बुद्ध विहार मार्ग के बीचोबीच विद्युत पोल लगाने का आग्रह किया था। पौध और विद्युत पोल एक ही लाइन में होने के कारण जब पौध बढ़ते हैं तो वे हाई एवं लो टेंशन लाइन से छू न जाए और कोई फाल्ट न हो जाए इसलिए विभाग द्वारा पड़ों की बराबर कटाई-छटाई होती रहती है।

इस संदर्भ में क्षेत्रीय वनाधिकारी ने बताया कि पंक्तिबद्ध छाया योजना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए पौधरोपड़ कराया जा रहा है। जहां तक पक्तियों की बात है इसके लिए विभाग प्रयासरत है कि इसका निस्तारण हो जाये।

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